साल 2019-21 में आयोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की रिपोर्ट के मुताबिक, 27% युवा ग्रामीण महिलाएं अभी भी अपने पीरियड्स के दौरान सुरक्षा के अस्वच्छ तरीकों का इस्तेमाल करती हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, मानसिकता, धार्मिक रीति-रिवाज और पूर्वाग्रह महिलाओं को पीरियड्स पर खुलकर चर्चा करने से रोकते हैं जिससे उनकी स्वच्छता तक पहुंच में बाधा आती है. लेकिन अब धीरे धीरे इस मुद्दे पर भी बात होने लगी है.
अब इसी कड़ी में दुनिया भर में शनिवार को वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल हाइजीन डे मनाया गया. ऐसे में महाराष्ट्र में महिलाओं को महंगे सैनिटरी पैड्स लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि उन्हें 1 रुपये में पूरे 10 पैड मिलेंगे. शनिवार को महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने घोषणा की कि सरकार राज्य में गरीबी रेखा से नीचे वाली 60 लाख महिलाओं को एक रुपये प्रति माह की कीमत पर 10 सैनिटरी नैपकिन देगी. इस योजना को 15 अगस्त से शुरू किया जाएगा.
कुल 1 रुपये में मिलेंगे 10 पैड
महाराष्ट्र के ग्रामीण विकास मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा, ''समस्या को गहराई से जानने पर पता चला कि नैपकिन के उपयोग के बारे में जागरूकता की काफी कमी है. इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य में स्वास्थ्य विभाग मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्रमोशन स्कीम लागू करने जा रहा है. इस मुद्दे को हल करने के लिए, महा विकास अघाड़ी सरकार ने 1 रुपये की मामूली कीमत पर 10 सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने का फैसला किया है.”
मंत्री ने आगे कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए 200 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है.
25% सप्लाई महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा की जाएगी
राज्य मंत्री मुश्रीफ ने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा सैनिटरी नैपकिन के उपयोग और पीरियड्स में देखभाल के लिए अभियान चलाया जाएगा. इसके तहत 75% सप्लाई सरकार द्वारा शॉर्टलिस्ट किए गए सप्लायर्स द्वारा और 25% सैनिटरी नैपकिन बनाने वाली महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा की जाएगी.
उन्होंने आगे कहा कि चूंकि 60 लाख से अधिक लाभार्थी हैं, इसलिए हर गांव में इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन के निपटान के लिए एक यूनिट स्थापित की जाएगी.
ख़राब हाइजीन से कई महिलाओं हो जाती है मृत्यु
राज्य मंत्री हसन मुश्रीफ ने आगे बताया कि दुनिया भर में आठ लाख महिलाओं की पीरियड्स के दौरान खराब देखभाल और बेकार स्वच्छता के कारण मृत्यु हो गई है. यह महिलाओं में मृत्यु का पांचवां प्रमुख कारण है. भारत में 320 मिलियन महिलाओं में से केवल 12% ही सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं. महाराष्ट्र में, 66% महिलाएं इसका इस्तेमाल करती हैं. महाराष्ट्र राष्ट्रीय स्तर पर 13वें स्थान पर है. ग्रामीण इलाकों में इसका इस्तेमाल करीब 17.5 फीसदी है.