मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple sclerosis) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें नर्वस सिस्टम (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) गंभीर रूप से प्रभावित होती है. यह बीमारी नर्वस सिस्टम की सबसे आम बीमारियों में से एक है. आज दुनियाभर में 2.8 मिलियन लोगों को यह बीमारी है. मल्टीपल स्केलेरोसिस मरीज के चलने-फिरने, शरीर के विभिन्न अंगों को हिलाने-डुलाने की क्षमता को कम कर सकता है और इससे विजन लॉस भी हो सकता है.
ये बीमारी किन कारणों से होती है इसपर अभी भी पर्याप्त शोध नहीं हुआ है और न ही इसे ठीक करने के लिए पर्याप्त उपचार हैं. चूंकि शरीर और मस्तिष्क के बीच संचार टूट जाता है इसलिए बीमारी से पीड़ित लोग शरीर के कार्यों का समन्वय करने में असमर्थ होते हैं. हालांकि बीमारी की गंभीरता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है, यह निश्चित रूप से सामान्य जीवन को खतरे में डालती है. अगर किसी व्यक्ति को प्रोडक्टिव उम्र में मल्टीपल स्केलेरोसिस हो जाए तो इससे उसके परिवार के लिए भारी आर्थिक संकट हो सकता है.
हम 30 मई को विश्व मल्टीपल स्केलेरोसिस दिवस मनाते हैं, इस गंभीर बीमारी से प्रभावित लोगों को स्वीकार करने और उनका समर्थन करने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है. आइए जानते हैं क्या हैं इसके लक्षण और बचाव.
क्या हैं इसके लक्षण?
1. आपके शरीर के एक तरफ होने वाले एक या एक से अधिक अंगों का सुन्न हो जाना या कमजोरी लगना
2. चलने में परेशानी
3. थकान
4. अस्पष्टीकृत दृष्टि संबंधी कठिनाइयाँ जैसे दोहरा दिखना, धुंधली दृष्टि, या दृष्टि की हानि
5. झुनझुनी
6. मांसपेशियों में अकड़न या ऐंठन
7. शरीर के अंगों में दर्द
8. अवसाद
9. याद रखने में समस्या
10. सिर का चक्कर
11. यौन, आंत्र और मूत्राशय की शिथिलता
12. अस्पष्ट भाषण
13. मेमोरी लॉस
14. सीजर्स (फिट्स)
क्या है इसका कारण
इस बीमारी का मूल कारण स्पष्ट नहीं है. यह रोग किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. यह बीमारी आमतौर पर 20 से 40 वर्ष की आयु के लोगों में रिपोर्ट की जाती है. महिलाएं पुनरावर्तन-प्रेषित मल्टीपल स्क्लेरोसिस के विकास के लिए 2 से 3 गुना अधिक संवेदनशील होती हैं. अगर फैमिली हिस्ट्री में किसी को ये बीमारी थी, तो परिवार के अन्य सदस्य को बीमारी होने का उच्च जोखिम हो सकता है. एपस्टीन-बार जैसे कुछ संक्रमण, संक्रामक मोनोन्यूक्लिओसिस पैदा करने वाला वायरस एमएस से जुड़ा हो सकता है. विटामिन डी के निम्न स्तर, सूर्य के प्रकाश के कम संपर्क, मोटापा, धूम्रपान, और कुछ ऑटोइम्यून रोग जैसे थायरॉइड रोग, घातक रक्ताल्पता (pernicious anaemia) सोरायसिस, टाइप 1 मधुमेह या सूजन आंत्र रोग भी इस रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं.
कैसे हो जांच?
बीमारी के निदान करने के लिए, रोगी की शारीरिक जांच की जाती है. मरीजों को ब्लड टेस्ट और एमआरआई करवाने की सलाह दी जा सकती है. यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर एक विकसित संभावित परीक्षण की भी सिफारिश कर सकते हैं जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में विद्युत गतिविधि को मापकर आपके तंत्रिका कार्य की पहचान करने में मदद कर सकता है.
क्या है इसका इलाज?
अब रोगियों के लिए नए इम्युनोमॉड्यूलेटर-आधारित उपचार उपलब्ध हैं. मरीज अब मौखिक रूप से दवाएं ले सकते हैं. लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए, रोगियों को शारीरिक रूप से फिट और मजबूत रहने की सलाह दी जाती है.
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