
वसंत विशुब यानी 21 मार्च को दिन और रात बराबर होते हैं. इससे पहले हर साल मार्च महीने के तीसरे शुक्रवार को दुनिया भर में वर्ल्ड स्लीप डे (World Sleep Day) यानी विश्व नींद दिवस मनाया जाता है. आज के दौर में जहां भागदौड़ भरी जिन्दगी में स्ट्रेस और हाइपरटेंशन कई जिन्दगियों को प्रभावित कर रहा है, आइए जानते हैं कि ये खास दिन क्यों मायने रखता है.
क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड स्लीप डे?
हमारी तेज रफ्तार जिन्दगी और मोबाइल इंटरनेट से हमेशा जुड़ी रहने वाली दुनिया में नींद अक्सर कहीं पीछे छूट जाती है. नींद की अहमियत बताने और अच्छी नींद लेने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी ने 2008 में इस दिन की शुरुआत की थी. पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ मीर फैसल पीटीआई से बातचीत में कहते हैं, "यह दिन अच्छी नींद के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजित किया जा रहा है."
वह कहते हैं, "आज इस साल के वर्ल्ड स्लीप डे पर हमारी थीम है कि अच्छी नींद को प्राथमिकता दी जाए. हम सभी जानते हैं कि नींद एक जरूरी चीज है. लेकिन फिर भी लोग अच्छी नींद लेने की अहमियत नहीं समझते हैं. इसलिए नींद से जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए यह दिन अहम है."
नींद की कमी से हो सकती हैं बीमारियां
वर्ल्ड स्लीप डे अच्छी नींद, नींद संबंधी विचारों और बेहतर नींद की आदतों के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। ये नींद की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए विशेषज्ञों और जनता को एकजुट करता है. डॉक्टर फैसल कहते हैं, "इसलिए ये बेहतर है कि बीमारी के बारे में, पैरासोमनिया के बारे में, नींद संबंधी विकारों के बारे में जागरूकता हो. क्योंकि जागरूकता कम है, इसलिए बहुत सारी समस्याएं हैं. मरीजों की बहुत सी समस्याएं हैं. ये समस्याएं उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में चलती रहती हैं."
नींद की कमी से सिर्फ थकान ही महसूस नहीं होती बल्कि ये दिल से जुड़ी बीमारियां, मधुमेह और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिम हो सकते हैं. वर्ल्ड स्लीप डे एक चेतावनी है जो हमें इन चीजों की याद दिलाता है कि स्वस्थ जीवन के लिए अच्छी नींद जरूरी है.
डॉ फैसल कहते हैं, "नींद अच्छी नहीं आती तो एक व्यक्ति स्ट्रेस में आ सकता है. मानसिक समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं. जब यह एक पुरानी बीमारी बन जाती है तो और कई तरह की परेशानियां भी पैदा होती हैं, जैसे डायबिटीज़. वजन भी बढ़ जाता है. हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (HyperCholesterolemia) और हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) जैसी बीमारी हो सकती है.
डॉ फैसल कहते हैं कि ये सभी बीमारियां तब सामने आती हैं जब नींद अच्छी नहीं होती. ऐसे में इंसान के पास नींद की दवाइयां खाने का विकल्प होता है. हालांकि इनके इस्तेमाल से भी कुछ सावधानियां जुड़ी हैं.
नींद की दवाओं से जुड़ी सावधानियां
डॉ फैसल नींद संबंधी परेशानियों लिए बिना डॉक्टर के परामर्श के ली गईं दवाओं पर निर्भर रहने को लेकर आगाह करते हैं. वे सही इलाज और सुरक्षित समाधान के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल से परामर्श करने की जरूरत पर ज़ोर देते हैं.
डॉ फैसल कहते हैं, "हर दवा का कुछ न कुछ साइड इफेक्ट होता है. नींद की दवाएं आपको कई तरह से प्रभावित कर सकती हैं. ये आपके दिमाग से लेकर आपके फेफड़ों, दिल और किडनी तक को प्रभावित कर सकती हैं. जब हम लंबे वक्त तक ये दवाएं लेते रहते हैं तो इनका असर भी कम होता जाता है. ऐसे में हमारी दवाइयों की डोज़ बढ़ती रहती है. ऐसे में यह खतरनाक हो सकता है."
वर्ल्ड स्लीप डे एक सरल लेकिन बड़ा संदेश देता है कि नींद सेहत के लिए जरूरी है. इससे पहले की नींद का सेहत पर असर दिखे, हमें आराम को तरजीह देने की जरूरत है. पूरी नींद लेने की आदत डालना और नींद से जुड़ी समस्याओं को टालने के बजाय उनका समाधान खोजना इस वक्त समाज की जरूरत है.