scorecardresearch

कानपुर के डॉक्टरों का कारनामा, दुनिया में पहली बार Stem Cell Therapy से हुआ रतौंधी का सफल इलाज

कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कालेज के डॉक्टरों ने वह कारनामा कर दिखाया है जिसमें अमेरिका के डॉक्टर भी सफलता हासिल नहीं कर सके थे. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल हैलट में आई विभाग के डॉक्टरों ने दुनिया में पहली बार स्टेम सेल से तैयार इंजेक्शन को रतौंधी के मरीजों पर इस्तेमाल किया है. 

Representative Image Representative Image
हाइलाइट्स
  • दुनिया की पहली सफल Stem Cell Therapy

  • अमेरिका के डॉक्टरों को भी नहीं मिली थी सफलता

कानपुर में जीएसवीएम मेडिकल कालेज के डॉक्टरों ने वह कारनामा कर दिखाया है जिसमें अमेरिका के डॉक्टर भी सफलता हासिल नहीं कर सके थे. कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल हैलट में आई विभाग के डॉक्टरों ने दुनिया में पहली बार स्टेम सेल से तैयार इंजेक्शन को रतौंधी के मरीजों पर इस्तेमाल किया है. 

रतौंधी यानी की 'रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा,' यह आंखों की ऐसी बीमारी है जिसमें रेटिना की सेल्स अपने आप मरने लगती हैं. इस बीमारी से ग्रसित मरीज को पहले रात में और फिर धीरे-धीरे दिन में दिखना बंद हो जाता है. लेकिन कानपुर के डॉक्टरों ने इसका सफलतापुर्वक इलाज किया है. 

यह इतिहास रचने से कम नहीं है. क्योंकि इस प्रक्रिया में पहले अमेरिका के डॉक्टर भी असफल रहे हैं. पर भारत के डॉक्टरों ने यह कारनामा कर दिखाया. 

अमेरिका में भी हुई थी कोशिश: 

दुनिया में अब तक रतौंधी मरीजों के लिए कोई सफल इलाज कारगर नहीं हुआ था. ऐसे में यह उपलब्धि बहुत मायने रखती है. मेडिकल कालेज के आई विभाग के हेड डॉक्टर परवेज खान और उनकी टीम ने यह कारनामा किया है. डॉ परवेज के मुताबिक अमेरिका में भी यह प्रयोग हुआ था लेकिन वहां सफलता नहीं मिली और इसके बाद सभी प्रोजेक्ट्स को बंद कर दिया गया. 

उनके साथ इस प्रयोग में मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ संजय काला और मुंबई के स्टेम सेल विशेषज्ञ डॉ बीएस राजपूत भी शामिल रहे. डॉ परवेज ने डॉ राजपूत की मदद से पहले एक रतौंधी मरीज स्टेम सेल निकाला. इसके बाद एक विशष प्रकार की सुईं बनाकर स्टेम सेल के इंजेक्शन को मरीज की आंखों में शुप्रा कोराइडल स्पेस में लगा दिया. 

डॉक्टरों का कहना है कि अब तक आंखों के इस स्पेस में पहुंचना सम्भव नहीं था. लेकिन इस बार डॉ परवेज और उनकी टीम ने इस हिस्से में इंजेक्शन लगा दिया. स्टेम सेल के इस इंजेक्शन से मरीज की आंखों में मृत सेल (कोशिकाएं) थे, वे पुनर्जीवित हो गए. 

उन्नाव के रतौंधी पीड़ित मरीज का हुआ इलाज: 

पूरी दुनिया के लिए कानपूर के डाक्टरों का ये प्रयोग एक प्रेरणा है. क्योकि इसके पहले अमेरिका में स्टेम सेल थेरेपी से कई मरीजों की आंखो का इलाज शुरू हुआ था. लेकिन इन मरीजों की आखों में इन्फेक्शन हो गया.डॉ. परवेज का कहना है इस इंफेक्शन के कारण अमेरिका में स्टेम सेल से इलाज करने वाले सभी क्लिनिक बंद कर दिए गए थे.

उनका कहना है पहले उनकी टीम के सदस्य भी स्टेम सेल से इलाज में असमंजस जाहिर कर रहे थे. लेकिन जब डॉ परवेज ने अपनी योजना बताई तो सभी राजी हो गए. उन्होंने उन्नाव के रतौंधी पीड़ित मरीज की आंखों में चार दिन पहले इस स्टेम थेरेपी का प्रयोग किया था और फिर तीन दिन बाद शुक्रवार को हमने मरीज को डिस्चार्ज भी कर दिया. 

अब तक इस मरीज में किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ है. यह सफलता कानपुर के मेडिकल कालेज के साथ साथ पूरे हिन्दुस्तान के लिए गर्व की बात है. जो दुनिया में किसी ने नहीं किया वह भारत ने कर दिखाया है.

साथ ही, पूरी दुनिया में रतौंधी के मरीज हैं, बच्चों से लेकर बूढ़ों तक. ऐसे में डॉ. परवेज और उनकी टीम की यह स्टेम सेल थेरेपी बहुत से लोगों के जीवन के उजाले से भर सकती है. उम्मीद है कि जल्द से जल्द से यह तकनीक दुनिया के सभी अस्पतालों में इस्तेमाल होगी. 

(रंजय सिंह की खबर)