कई बार हमारे चेहरे पर ऐसे दाग-धब्बे होते हैं, जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन क्या हो जबह यही दाग आपके लिए चिंता का विषय बन जाए. ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (ओएचएसयू) के स्किन एक्सपर्टस की एक टीम ने हाल ही में एक महिला की स्किन में दुनिया के सबसे छोटे कैंसर का पता लगाया है.
उस महिला की आंख के नीचे, गाल पर मुश्किल से दिखने वाला स्थान 0.65 मिलीमीटर या 0.025 इंच मापा गया. यह मानव आंखों के लिए लगभग अदृश्य था, लेकिन त्वचा विशेषज्ञों की टीम ने हाई-टेक गैर-इनवेसिव तकनीक का उपयोग करके छोटे कैंसर की खोज की.
हाई टेक तकनीक से लगाया गया कैंसर का पता
अपनी आंख के नीचे की छोटी त्वचा की जांच के लिए कई डॉक्टरों के पास जाने के बाद भी, क्रिस्टी स्टैट्स अभी भी अपने चेहरे पर होने वाले इस डेवलपमेंट से परेशान हो रही थी. अंत में, उसे ओएचएसयू स्कूल ऑफ मेडिसिन में त्वचा विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ अलेक्जेंडर विटकोव्स्की के साथ अप्वाइंटमेंट मिली.
सबसे खतरनाक कैंसर में से एक है मेलेनोमा
शुरुआत में उस परीक्षण में कुछ भी नहीं निकल रहा था. लेकिन स्किन एक्सपर्ट डॉ विटकोव्स्की एक छोटे से दाग को स्पॉट किया. उसके बाद उच्च-तकनीक की गैर-इवेसिव मशीनों का उपयोग करके पता लगाया कि ये वास्तव में मेलेनोमा था, जो त्वचा कैंसर का सबसे खतरनाक प्रकार था.
बता दें कि "सबसे छोटे त्वचा कैंसर का पता लगाने" के लिए डॉ. विटकोव्स्की और उनकी ओएचएसयू टीम का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है.
क्या त्वचा को काटने की जरूरत थी?
सबसे खास बात ये कि कैंसर की पहचान करने के लिए त्वचा को काटने की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि त्वचा विशेषज्ञ क्रिस्टी स्टैट ने पहले ही कैंसर की पहचान कर ली थी. इसका पता लगाने के लिए उन्होंने गैर-इनवेसिव तकनीक का उपयोग किया था.
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम
कैंसर का जल्द पता लगाने के क्षेत्र में डॉक्टर की टीम के प्रयास का सम्मान करने के लिए, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड ने उन्हें 'सबसे छोटे त्वचा कैंसर' का पता लगाने के लिए सम्मानित किया. उन्हें पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के जज ने OSHU का दौरा किया और टीम के प्रत्येक सदस्य को रिकॉर्ड के लिए एक प्रमाण पत्र प्रदान किया.