हाल के महीनों में, पुणे में जीका वायरस के मामले बढ़े हैं. इससे नागरिकों और हेल्थ एक्सपर्ट में चिंता बढ़ गई है. जून 2024 से पुणे शहर में जीका वायरस के 27 मामले सामने आए हैं. इसके अलावा, सासवड और भूगांव के ग्रामीण इलाकों से दो-दो मामले और संगमनेर और कोल्हापुर से एक-एक मामला सामने आया है. हालांकि, इससे बचा जा सकता है. कुछ चीजों का ध्यान रखकर आप इस वायरस से बच सकते हैं.
जीका वायरस मुख्य रूप से इन्फेक्टेड एडीज मच्छरों, विशेषकर एडीज एजिप्टी के काटने से फैलता है. ये मच्छर डेंगू बुखार, चिकनगुनिया और पीले बुखार जैसी दूसरी बीमारियों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं. एडीज मच्छर मुख्य रूप से दिन के दौरान सक्रिय होते हैं, जिससे आबादी वाले क्षेत्रों में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
रुके हुए पानी में पनपते हैं मच्छर
एडीज मच्छर रुके हुए पानी में पनपते हैं. कंटेनर, फूल के बर्तन, फेंके गए टायर और कोई भी स्थान जहां पानी जमा हो सकता है उनका ध्यान रखें. मानसून के मौसम में ये समस्या और बढ़ जाती है. इसमें पानी इकट्ठा होने के चांस ज्यादा बढ़ जाते हैं, जिससे मच्छर पनपने लगते हैं.
ट्रांसमिशन के होते हैं कई तरीके
मच्छर के काटने से जीका वायरस भी फैल सकता है. लेकिन इसके कई और तरीके भी हैं-
-मां से बच्चे में वायरस: एक गर्भवती महिला अपने पेट में पल रहे बच्चे में वायरस पहुंचा सकती है, जिससे संभावित रूप से माइक्रोसेफली जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है.
-यौन संपर्क: यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के माध्यम से फैल सकता है.
-ब्लड ट्रांसफ्यूजन: वायरस ब्लड ट्रांसफ्यूजन से भी फैल सकता है.
जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस से इन्फेक्टेड ज्यादातर लोगों में तुरंत लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटे जाने के 3-14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं. ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और 2-7 दिनों तक रह सकते हैं. सामान्य लक्षणों में कई शामिल हैं-
-लाल दाने: ये अक्सर चेहरे से शुरू होकर शरीर के बाकी हिस्सों तक फैल जाते हैं.
-बुखार: आमतौर पर हल्का और 102°F (38.9°C) से ज्यादा नहीं.
-कंजेक्टिवाइटिस (लाल आंखें): गैर-प्यूरुलेंट और गैर-ग्रैनुलोमेटस कंजेक्टिवाइटिस हो सकता है.
-मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द: आमतौर पर हाथों और पैरों में महसूस होता है.
-सिरदर्द: बेचैनी और सिरदर्द की सामान्य लक्षण है.
जीका वायरस की टेस्टिंग कैसे होती है?
जीका वायरस के लिए शुरुआत में पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (PCR) टेस्ट करवाया जा सकता है. यह टेस्ट ब्लड, पेशाब या शरीर के दूसरे लिक्विड में जीका वायरस के जेनेटिक मटेरियल (RNA) को डिटेक्ट किया जा रहा है. लक्षण दिखने के बाद पहले सप्ताह के भीतर किए जाने पर यह सबसे प्रभावी होता है.
कैसे बचाएं खुद को?
जीका वायरस के लिए कोई टीका या अलग से उपचार नहीं है. लेकिन आप खुद को इससे बचाने के लिए अलग-अलग उपाय कर सकते हैं-
-कपड़े पहनें: लंबी बाजू वाली शर्ट और लंबी पैंट मच्छर के काटने से स्किन के कॉन्टैक्ट को कम करने में मदद कर सकती हैं. हल्के रंग के कपड़ों को प्राथमिकता दें.
-इन्सेक्ट रेपेलेंट: स्किन पर मच्छरों को दूर रखने वाली चीजें लगाएं. जैसे ओडोमॉस वगैरह.
-मच्छरदानी का उपयोग करें: विशेष रूप से छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए, मच्छरदानी के नीचे सोने की सलाह दी जाती है.