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भारत

Save Environment Campaign के तहत हुगली के 64 वर्षीय संचित दास ने पैदल तय किया 2000 किलोमीटर का सफर

संचित दास
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परिवेश बचाने पॉलिथिन मुक्त भारत बनाने एवं जल संरक्षण को लेकर यूं तो काफी लोगों ने काम किया है, लेकिन पर्यावरण को बचाने के लिए इस ओर किए गए प्रयासों में सबसे अलग हैं हुगली के संचित दास.

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सचिन ने अपनी इस मुहिम के तहत हिमालय के गंगोत्री से गंगासागर के कपिल मुनि आश्रम तक 2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने का बीड़ा उठाया है. संचित दास की उम्र 64 वर्ष है और वह पेशे से एक रिटायर्ड आईटी कर्मी हैं.

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संचित दास ने बताया कि पहाड़ पर चढ़ने का उन्हें बचपन से शौक था, लेकिन उनकी यह इच्छा आर्थिक प्रतिकूलता के कारण पूरी नहीं हुई. तब उन्होंने निश्चय किया कि वो कुछ ऐसा कर गुजर जाए जो आने वाले समय में समाज के लिए एक मिसाल बन सके. अपनी इसी कवायद के तहत पिछले 30 सितंबर को उन्होंने हिमालय के गंगोत्री से पैदल यात्रा परिवेश बचाने के संदेश को लेकर शुरू की और अपने यात्रा के अंतिम पड़ाव में वह 5 जनवरी को बंगाल के गंगासागर के कपिल मुनि आश्रम में पहुंचने वाले हैं. 

संचित दास
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अपनी यात्रा के दौरान संचिता कंधे पर देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लेकर एक वीर सैनिक की तरह भारत के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों की पैदल यात्रा कर गंगासागर पहुंचने का बीड़ा उठाया है. संचित ने अपनी पीठ पर एक बैग भी टांगा हुआ है, जिसके पीछे एक पोस्टर है और उसपर समाज को पॉलीथिन फ्री बनाने की संदेश लिखा हुआ है. 

संचित दास
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 संचित इस दौरान रास्ते में अन्य लोगों के साथ तस्वीरें भी खींचते हैं और सबको पर्यावरण को प्लास्टिक मुक्त करने का संदेश देते हैं.

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इस 64 वर्षीय व्यक्ति को देखकर जैसे ऐसा लग रहा है कि किसी भी महान काम को करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती. यदि हम मन में किसी लक्ष्य को पाने की ठान ले तो सिर्फ कदम बढ़ाने की बात होती है. लक्ष्य खुद आपके सामने आकर आपके कदम चूमेगी.