देश के उत्तर पूर्व में टूरिज़्म को बढ़ावा देने के सिलसिले में सरकार लगातार कदम उठा रही है. इसी सिलसिले में भारतीय रेलवे के विस्टाडोम कोच से सजी ट्रेन अब पूर्वोत्तर में चीन की सीमा तक पहुंच चुकी है. अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन से असम के तिनसुकिया रेलवे स्टेशन के बीच का मनोरम सफ़र अब विस्टाडोम कोच में बैठकर तय किया जा सकेगा.
गुवाहाटी-नाहरलगुन के बीच का रेल रूट चारों ओर से चाय के बागानों, हरे-भरे जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है. इस सफर के दौरान यात्रियों को हिमालयन रेंज के पर्वतों का नज़ारा भी देखने को मिलता है.
इसके अलावा ये रेल रूट, असम के ऐतिहासिक शहरों और कस्बों को भी कवर करता है. ऐसे में कांच की छत और खिड़कियों वाले विस्टाडोम कोच में बैठकर इस रूट पर सफर करना, जन्नत की सैर करने से कम नहीं हो.
आपको बता दें कि विस्टाडोम कोच में यात्रियों को सफ़र का बेहद शानदार और अनोखा अनुभव मिलता है. विस्टाडोम कोच में शीशे की छत और शीशे की विशालकाय खिड़कियां होती हैं जिनके जरिये यात्री रुट के खूबसूरत नज़ारों का लुत्फ उठा सकते हैं. साथ ही विस्टाडोम कोच में यात्रियों की सुविधा के लिए 180 डिग्री तक घूमने वाली सीट्स भी होती हैं.
इसके अलावा कोच में यात्रियों के लिए वाई-फाई, हर सीट पर डिजिटल डिस्पले और स्पीकर भी लगे होते हैं. जहां यात्री अपनी पसंद के गाने और वीडियोज़ का लुत्फ उठा सकते हैं. मेट्रो की तरह ही विस्टाडोम एक्सप्रेस के कोचेज़ में ऑटोमेटिक स्लाइडिंग दरवाज़े लगाए गए हैं.
इस खूबसूरत ट्रेन को देश के पूर्वोत्तर छोर तक पहुंचाना रेलवे के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती था. असम और अरुणाचल के दुर्गम रास्तों पर इस ट्रेन के अनुकूल रूट का निर्माण करना, भारतीय रेलवे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धी है.
प्रकृति की गोद में बसे उत्तर पूर्व के नज़ारों का दीदार कराने के लिए, भारतीय रेलवे की ये अनोखी पहल है. ऊपर खुला नीला आसमान, सामने दूर दूर तक फैली प्राकृतिक सुंदरता, चलती ट्रेन से कांच की छत और खिड़कियों से दिखता ये नज़ारा और भी खूबसूरत लगता है. उत्तर पूर्व आने वाले सैलानियों के लिए तो ये बेहद खास सौगात है.
आपको बता दें कि सैलानियों को पूर्वोत्तर भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ दिलाने के लिए विस्टाडोम कोच की सुविधा लगातार बढ़ाई जा रही है. नॉर्थ फ्रंटियर रेलवे पूर्वोत्तर इलाके में तीन और रूट पर विस्टाडोम कोच वाली ट्रेन चलाई जा रही हैं.