कश्मीर को हाथ से बुने हुए कालीन, शॉल, सिलाई के काम और कढ़ाई के लिए जाना जाता है. पिछले साल कोविड-19 लॉकडाउन के बाद कई युवाओं, जिनमें ज्यादातर लडकियां शामिल थीं, ने हस्तशिल्प सीखना शुरू किया. इसके पीछे का पहला कारण युवाओं की बेरोज़गारी थी और दूसरा, उन्हें पता था कि हैंडीक्राफ्ट्स की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है.
एक कारीगर नसीमा 6 लड़कियों के साथ अनंतनाग में पर्दे पर कढ़ाई का काम कर रही हैं. उन्होंने एक लघु कुटीर उद्योग स्थापित किया है और श्रीनगर में डीलरों के आदेश पर काम कर रही हैं. नसीमा ने इंडिया टुडे से कहा कि उन्हें हैंडीक्राफ्ट का काम करने में मजा आता है. यह एक इंडिपेंडेंट काम है और इससे उनकी अच्छी कमाई भी हो जाती है.
पहलगाम पर्यटन स्थल के एक हैंडीक्राफ्ट व्यापारी हाजी मोहम्मद हुसैन ने इंडिया टुडे को बताया कि पहलगाम आने वाले अधिकांश पर्यटक शॉल, कढ़ाई वाले कोट, फिरन और कढ़ाई के पर्दे जैसे बहुत सारे हैंडीक्राफ्ट वाली वस्तुएं खरीदते हैं.
कश्मीर के हैंडीक्राफ्ट्स अपनी खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं. ‘धरती पर स्वर्ग’ कहे जाने वाले कश्मीर में पूरे साल पर्यटकों का तांता लगा रहता है. ऐसे में ये कला युवाओं के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है. कोरोना महामारी के दौर को देखते हुए अधिक से अधिक बेरोजगार युवा कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न पारंपरिक शिल्प सीख रहे हैं.
(फोटो साभार: अशरफ वानी)