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भारत

Hindi Diwas Special: पढ़ने का है शौक तो पढ़े इन हिंदी लेखकों की किताबें

premchand
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हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने में प्रेमचंद का भी काफी योगदान रहा है. उन्होंने बहुत से उपन्यास और लघु कथाएं लिखी हैं और वह ऐसे भारतीय लेखक थे जिन्होंने  भारतीय विषयों को पश्चिमी साहित्यिक शैलियों के अनुकूल बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई. आप उनकी रंगभूमि, निर्मला, गबन, गोदान, कर्मभूमि, आत्माराम, दो बैलों की कथा, ईदगाह जैसी रचनाएं पढ़ सकते हैं.

harivansh
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हरिवंश राय बच्चन एक भारतीय हिंदी भाषा के कवि और 20 वीं शताब्दी के शुरुआती हिंदी साहित्य के नई कविता साहित्यिक आंदोलन के लेखक थे. उन्होंने हिंदी भाषा को उन्नत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिए. वह भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ भी रहे. आप उनकी क्या भूलूँ क्या याद करूँ,
नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक, और प्रवास की डायरी आदि पढ़ सकते हैं. 

usha priyamvada
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हिंदी लेखिका उषा निल्सन का उपनाम उषा प्रियंवदा है. 1930 में कानपुर में जन्मी, ऊषा विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई अध्ययन के भारतीय मूल की अमेरिकी प्रोफेसर हैं. साथ ही वह एक हिंदी उपन्यासकार और लघु-कथा लेखक हैं. वह 1976 में प्रेमचंद पुरस्कार और 2009 में पद्मभूषण मोटूरी सत्यनारायण पुरस्कार की विजेता हैं. उनकी रचनाओं में शेष यात्रा, एक कोई दशहरा, पचपन स्तंभ आदि शामिल हैं. (Photo: Amazon)

Mridula Garg
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1983 में कलकत्ता में जन्मीं मृदुला गर्ग एक भारतीय लेखिका हैं. उन्होंने हिंदी में 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं - उपन्यास, लघु कहानी संग्रह, नाटक और निबंध संग्रह - जिनमें कई अंग्रेजी में अनुवादित हैं. वह 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्तकर्ता थीं. उनकी कुछ उल्लेखनीय कृतियों में, उसके हिस्से की धूप, कितनी क़ैदें, वंशज, टुकड़ा-टुकड़ा आदमी आदि शामिल हैं. (Photo: Wikipedia)

Geetanjali
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गीतांजलि श्री, जिन्हें गीतांजलि पांडे के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय हिंदी भाषा के उपन्यासकार और नई दिल्ली, भारत में स्थित लघु-कथा लेखक हैं. वह कई लघु कथाओं और पांच उपन्यासों की लेखिका हैं. गीतांजलि श्री के अब तक, 'माई`, 'हमारा शहर उस बरस`, 'तिरोहित`,'खाली जगह', और 'रेत-समाधि' जैसे उपन्यास और कहानी संग्रह - 'अनुगूंज`, 'वैराग्य`, 'मार्च, मां और साकूरा', 'यहां हाथी रहते थे' और 'प्रतिनिधि कहानियां' प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें रेत समाधि के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है. वह पहली हिंदी लेखिका हैं जिन्हें  इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला है. (Photo: Wikipedia)