हम सब जानते हैं कि गांधी जी एक समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे. उन्होंने सत्याग्रह नामक अहिंसक प्रतिरोध का विचार पेश किया था. वह हमेशा से अहिंसा के पक्षधर थे. इसलिए उनके जन्मदिवस को अंहिसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. आज सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कई देशों में गांधी जी के विचार पढ़ाए जाते हैं.
गांधी जी का जन्म गुजरात में हुआ था और उन्होंने लंदन के इनर टेम्पल में कानून की पढ़ाई की थी. दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के लिए एक सविनय अवज्ञा आंदोलन आयोजित करने के बाद, वे 1915 में भारत लौट आए. और यहां आकर उन्होंने भारत की आजादी के लिए काम किया और लोगों को एकजुट किया.
भारत में, गांधी जी ने किसानों, और शहरी मजदूरों की समस्याओं को समझने और विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की कोशिश में देश के विभिन्न हिस्सों में एक ट्रेन यात्रा की. साल 1921 में गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व ग्रहण किया और भारतीय राजनीति में सबसे प्रमुख नेता और एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन गए.
गांधी जी ने 1930 में दांडी नमक मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का आयोजन किया. उनके आंदोलन जन-आंदोलन बन गए. हर तबके के लोग उनसे जुड़ने लगे. गांधी जी ने अछूतों के उत्थान के लिए भी काम किया और उनका एक नया नाम 'हरिजन' रखा जिसका अर्थ है ईश्वर की संतान.
गांधी जी ने विभिन्न समाचार पत्रों के लिए भी बड़े पैमाने पर लिखा और आत्मनिर्भरता का उनका प्रतीक - चरखा - भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक लोकप्रिय प्रतीक बन गया. गांधी जी ने हमेशा ही लोगों को खुद पर निर्भर होने का पाठ पढ़ाया और लोगों को अपना काम खुद करने की शिक्षा दी.
गांधी जी का मानना था कि भारत स्वाबलंबन से ही आगे बढ़ सकते है और इसलिए वह गांवों को आत्मनिर्भर बनाना चाहते थे. उनका कहना था कि असल भारत गांवों में बसता है इसलिए गांवों की तरक्की ही देश की तरक्की होगी. उन्होंने हमेशा हर गांव को स्वाबलंबी बनने की शिक्षा दी.
गांधी जी ने लोगों को शांत करने और हिंदू-मुस्लिम दंगों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई क्योंकि देश के विभाजन से पहले और उसके दौरान तनाव बढ़ गया था. 31 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी. लेकिन गांधी जी आज भी हर दिल में जिंदा हैं.