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Exclusive: कम हो रही गांव से शहर की दूरी, गांव के छोटे व्यापारियों को ई-कॉमर्स से जोड़ रही है ये संस्था

1 ब्रिज एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है. आसान शब्दों में कहें तो ये वो प्लेटफॉर्म है जो गांव के लोगों तक जरूरी सुविधाएं पहुंचाता है. हालांकि केवल सुविधाएं पहुंचाना इसका काम नहीं है.

मदन पदाकी मदन पदाकी
हाइलाइट्स
  • दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रही हैं कंपनियां

  • हर महीने एक लाख से ज्यादा युवा हो रहे आत्मनिर्भर

आज कल भारत में गांवों के लोग ज्यादातर शहरों की ओर पलायन कर लेते हैं. अधिकतर लोग गांवो में सुविधाएं न होने के कारण पलायन करते हैं, और अपने घर मां-बाप, रिश्तेदार, दोस्त यारों से दूर हो जाते हैं. लोगों की इसी परेशानी को एक चैलेंज की तरह लिया मदन पदाकी ने, और शुरुआत हुई 1 ब्रिज (1 Bridge) की. 1 ब्रिज एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है. आसान शब्दों में कहें तो ये वो प्लेटफॉर्म है जो गांव के लोगों तक जरूरी सुविधाएं पहुंचाता है. हालांकि केवल सुविधाएं पहुंचाना इसका काम नहीं है. हाल ही में आए मन की बात के लेटेस्ट एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्लेटफॉर्म की तारीफ की थी,

GNT Digital से एक्सक्लूसिव बातचीत में 1 ब्रिज के फाउंडर मदन पदाकी ने बताया कि गांव में रहने वाले लोगों को हर छोटी से छोटी चीज के लिए गांव के बाहर जाना पड़ता है. वहीं ऑनलाइन शॉपिंग की बात करें तो गांव के लोगों के लिए ये असंभव लगता हैं. वहीं कई सारी कंपनियां गावों में काम करना भी चाहती है, पर मूल सुविधाओं की कमी के कारण वहां तक पहुंचना उनके लिए मुश्किल होता है. इसके अलावा गांवों में भी ऐसे कई लोग हैं, जो अपना खुद का बिजनेस करना चाहते हैं, पर ज्यादा लागत लगने की वजह से अपना सामान शहरों तक नहीं पहुंचा पाते हैं. ऐसे में 1 ब्रिज इस तीन तरह की दिक्कतों पर मूल रूप से काम करता है. 1 ब्रिज ने इस तीनों दिक्कतों को समझते हुए काम करना शुरू किया है.

दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रही हैं कंपनियां
अब 1 ब्रिज Amazon, Myntra और Flipkart जैसी कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहा है, और गांव के लोगों तक भी सारा सामान जा रहा है. दरअसल गावों में कई सारे ऐसे उद्योग संचालन कर रहे हैं, जिन्हें शहर से सामानों की जरूरत होती है. ऐसे ही लोगों की जरूरत को पूरा करता है 1 ब्रिज. इसके अलावा 1 ब्रिज गांवों में काम करने वाले छोटे उद्यमियों को शहरों के बड़े बड़े कारोबारियों से लिंक करता है, ताकि उन्हें अपने प्रोडक्ट के अच्छे पैसे मिल सकें. 

हर महीने एक लाख से ज्यादा युवा हो रहे आत्मनिर्भर
1 ब्रिज ने गांवों को ई-कॉमर्स से जोड़ने का काम किया है. इस स्टार्टअप से अब तक लाखों लोग आत्मनिर्भर हो चुके हैं. 1 ब्रिज की मदद से हर महीने लगभग 1 लाख से ज्यादा युवा आत्मनिर्भर हो रहे हैं. कई लोगों ने अपना खुद का बिजनेस खोल लिया है. शहरों में तकनीकी विकास तेजी से होने के कारण अक्सर लोग गांवों का महत्व भूल जाते हैं. अब तक 1 ब्रिज 6 राज्यों कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और ओडिशा के 70 से अधिक जिलों में काम किया है.

अब तक 52 करोड़ का रेवेन्यू बना चुका है 1 ब्रिज
पिछले 4 सालों में, 1 Bridge 75% से अधिक वर्ष-दर-वर्ष (YOY) वृद्धि के साथ लगातार बढ़ा है और वित्त वर्ष 2021 में 52 करोड़ रुपये से अधिक का रेवेन्यू बनाया है. अब वित्त वर्ष 2022 में उनका लक्ष्य 100 करोड़ को पार करना है. इसने दक्षिण भारत के 70 से अधिक जिलों में काम किया है. मदन का कहना है कि उनकी कंपनी ने अब तक 10,000 से अधिक उद्यमियों को जोड़ा है. ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए 35 मिलियन लेनदेन को पूरा किया है और 1.5 मिलियन ग्रामीण उपभोक्ताओं को सीधे सेवा प्रदान की है. मदन की इस पहल से अब गांवों को लोग भी आगे बढ़ रहे हैं. 

भारत की इकॉनमी में ग्रामीण भारत का योगदान
भारत में कुल 6.5 लाख से ज्यादा गांव हैं, जिनमें से केवल 6,500 उपभोक्ता रहते हैं. गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए, 1 ब्रिज के सह-संस्थापक और सीईओ मदन पदाकी, 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में ग्रामीण भारत की भूमिका पर फोकस कर रहे हैं. उन्होंने 2016 में 1 ब्रिज की शुरुआत की थी. 1 ब्रिज एक ऐसा ग्रामीण ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है, जो जो ग्रामीण उपभोक्ताओं को सप्लायर से जोड़ता है.

गांव के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करता है 1 ब्रिज
मदन बताते हैं कि हाल ही में मैसूर के बन्नूर के पास एक छोटे से गाँव में गए थे. वहां पर उन्होंने एक किसान दंपति से बात की, जिन्होंने मदन को बताया कि उन्होंने एक ई-कॉमर्स साइट पर एक स्मार्टफोन खरीदा है, और उस स्मार्टफोन की मदद से अपने बच्चे को ऑनलाइन शिक्षा देना चाहते हैं. इस तरह मदन ने गांव के लोगों की महत्वाकांक्षाओं को समझा है. उनका कहना है कि उनका संस्था ऐसी ही महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने पर काम करती है.  

मदन जैसे लोगों की बदौलत आज गांव के लोग भी ऊंचे सपने देख पा रहे है, और भारत के विकास में अपना योगदान दे पा रहे हैं.