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11 साल की बच्ची ने दिखाई बहादुरी, जान की परवाह किए बिना किडनैपर्स से बचाया सहेली को

जिस तरह काबिलियत उम्र की मोहताज नहीं होती है उसी तरह बहादुरी भी उम्र से परे होती है. कई बार बच्चों के नन्हे हाथ वह कमाल कर जाते हैं, जिनके बारे में बड़े सोच भी नहीं सकते हैं. आज ऐसी ही एक नन्ही बहादुर की की कहानी हम आपको बता रहे हैं. राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के भदसेर इलाके में एक 11 साल की बच्ची ने अपनी सहेलियों को अगवा होने से बचाया है.

Representative Image (Reuters) Representative Image (Reuters)
हाइलाइट्स
  • स्कूल से 300 मीटर की दूरी पर हुई घटना

  • सहेली ने मचाया शोर तो भागे बदमाश

जिस तरह काबिलियत उम्र की मोहताज नहीं होती है उसी तरह बहादुरी भी उम्र से परे होती है. कई बार बच्चों के नन्हे हाथ वह कमाल कर जाते हैं, जिनके बारे में बड़े सोच भी नहीं सकते हैं. आज ऐसी ही एक नन्ही बहादुर की की कहानी हम आपको बता रहे हैं. 

राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के भदसेर इलाके में एक 11 साल की बच्ची ने अपनी सहेलियों को अगवा होने से बचाया है. जी हां, अचलपुरा गांव के राजकीय प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाली खुशी कंवर और झिलमिल कंवर साथ में स्कूल आती-जाती हैं. 

दोनों अच्छी सहेलियां हैं. घटना के दिन भी दोनों बच्चियां अपने अन्य कुछ साथियों के साथ स्कूल जा रही थीं. अचानक उनके पास से एक वैन गुजरी और वैन में बैठे बदमाशों ने खुशी को किडनैप करने की कोशिश की. 

सहेली ने बचाया किडनैप होने से: 

बताया जा रहा है कि घटना बच्चों के स्कूल से 300 मीटर की दूरी पर ही हुई थी. वैन में बैठे तीन बदमाशों ने खुशी को खींचकर गाड़ी में डालने की कोशिश की. लेकिन झिलमिल ने खुशी का हाथ पकड़ लिया और मदद के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगी. 

इस झड़प में झिलमिल ने एक बदमाश के हाथ को काटा भी ताकि वह खुशी का हाथ छोड़ दे. झिलमिल के शोर मचाने के कारण आसपास के लोगों का ध्यान इस ओर गया तो बदमाश बच्ची को छोड़कर भाग गए. इसके बाद दोनों बच्चियां स्कूल पहुंची और तुरंत प्रिंसिपल को इस बारे में बताया.

पुलिस कर रही है छानबीन: 

प्रिंसिपल ने पुलिस को घटना की जानकारी दी और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बच्चियों से इस बारे में पूछताछ की. खुशी का परिवार बहुत ही सामान्य है और दिहाड़ी-मजदूरी करके अपना पालन-पोषण करते हैं. उनका कहना है कि उनकी किसी से दुश्मनी नहीं है. 

पुलिस ने आसपास के इलाके के सीसीटीवी कैमरा भी चेक किए हैं. लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया है. हालांकि, पुलिस की कोशिशें जारी हैं. 

फिलहाल, हर कोई झिलमिल की बहादुरी की तारीफ कर रहा है. जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी सहेली  बदमाशों से चंगुल से बचाया. वह भी इतनी कम उम्र में. हमें उम्मीद है कि भारत की हर बेटी झिलमिल से प्रेरणा ले और खुद को मजबूत व सशक्त बनाए.

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