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कोई स्टूडेंट, तो कोई मजदूर... CAA के तहत 14 लोगों को मिला नागरिकता सर्टिफिकेट, भारतीय नागरिक बनने के बाद क्या बोले शरणार्थी?

केंद्र सरकार ने बुधवार को अलग-अलग देशों से आए 14 शरणार्थियों को नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारतीय नागरिक होने का सर्टिफिकेट दिया. इनमें से कोई यहां छोटे-मोटे काम करके अपना पेेट पाल रहा है, तो कोई शिक्षा हासिल कर रहा है.

Union Home Secretary Ajay Kumar Bhalla handing over citizenship certificate under CAA. Union Home Secretary Ajay Kumar Bhalla handing over citizenship certificate under CAA.
हाइलाइट्स
  • नए कानून के तहत मिली नागरिकता

  • केंद्र सरकार ने दो महीने पहले जारी किए थे नियम

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (Citizenship Ammendment Act - CAA) के तहत बुधवार को 14 लोगों को सिटिजनशिप सर्टिफिकेट दिया गया. यानी ये लोग आधिकारिक तौर पर भारत के नागरिक बन गए. 

सीएए के तहत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हुए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग भारत में नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं. केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने दिल्ली में 14 शरणार्थियों को नागरिकता का सर्टिफिकेट दिया. 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दो महीने पहले ही सीएए के नियम सार्वजनिक किए थे. हालांकि सीएए को चार साल पहले, दिसंबर 2019 में ही संसद से हरी झंडी मिल गई थी. 

नागिरक बनने के बाद क्या बोले शरणार्थी?
बुधवार को उन 14 लोगों को नागरिकता सर्टिफिकेट दिया गया जिनके एप्लिकेशन ऑनलाइन भरे गए थे. सर्टिफिकेट मिलने के बाद 11 क्लास में पढ़ने वाली भावना ने कहा कि वह पाकिस्तान से 2014 में आई थीं और अब वह अपनी पढ़ाई पूरी करेंगी.

समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए भावना ने कहा, "मुझे आज नागरिकता मिल गई है और मुझे बहुत खुशी हो रही है. मैं आगे पढ़ सकती हूं. मैं 2014 में यहां आई थी, और जब यह (सीएए) पारित हुआ तो मुझे बहुत खुशी हुई. पाकिस्तान में हम लड़कियां पढ़ाई नहीं कर सकती थीं और बाहर जाना भी मुश्किल था. अगर हमें बाहर जाना होता था तो हम बुर्का पहनते थे, भारत में हमें पढ़ने को मिलता है. मैं अभी 11वीं कक्षा में हूं और ट्यूशन भी जाती हूं." 

हरीश कुमार ने कहा, "मैं 12-13 साल से मजनू के टीले पर रह रहा हूं. ड्रीम कम ट्रू वाली फीलिंग है. ऐसा लगता है नया जन्म हो गया. पाकिस्तान से आया हूं. इंसान के अधिकार नहीं होते तो कुछ नहीं होता. अब हमें नौकरी भी मिल सकती है. काफी कुछ हो सकता है. हम सरकार का शुक्रिया अदा करते हैं." 

अर्जुन ने कहा, "बहुत खुश हूं कि नागरिकता मिल गई है. मैं 2014 से यहां रह रहा हूं. मैं नागरिकता न होने की वजह से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया. मैं छोटा-मोटा काम करके गुजारा कर रहा हूं. लेकिन खुश हूं कि नागरिकता मिल गई है. अब मेरे बच्चे भी शिक्षा हासिल कर सकेंगे." 

सीएए ने 1955 के नागरिकता कानून में बदलाव कर अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शरणार्थियों नागरिकता देने की प्रक्रिया को फास्ट्रैक किया था. नए कानून के तहत उन शरणार्थियों को नागरिकता दी जा रही है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हैं.

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विवादों से घिरा रहा है कानून
यह कानून पूरे भारत में बहस और विरोध का केंद्र रहा है. केंद्र सरकार की ओर से सीएए के नियम जारी होने के बाद केरल सरकार ने इसके कार्यान्वयन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. पिनाराई विजयन सरकार का तर्क था कि यह कानून "संविधान के मूल सिद्धांत, मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ" है.

पिछले महीने वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा था कि केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने के बाद संसद के पहले सत्र में सीएए को रद्द कर दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने इस कानून के कार्यान्वयन का मजबूती से बचाव किया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीएए की नोटिफिकेशन जारी होने के तुरंत बाद ट्वीट किया था, "ये नियम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता हासिल करने में सक्षम बनाएंगे."