
मेरठ के सरूरपुर थाना क्षेत्र के सरूरपुर गांव में इन दिनों जश्न का माहौल है. इसकी वजह है गांव के 14 युवा, जिनका उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर चयन हुआ है. पूरे यूपी में किसी एक गांव से इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का पुलिस में चयन एक मिसाल बन गया है. इन 14 अभ्यर्थियों में तीन लड़कियां और 11 लड़के शामिल हैं.
गांव के लोगों के लिए यह गर्व की बात है, क्योंकि इनमें से कई युवाओं ने बेहद संकटों और संघर्षों के बीच अपने सपने पूरे किए हैं. किसी के माता-पिता अनपढ़ हैं, तो किसी ने मजदूरी कर अपने बच्चों को पढ़ाया. कुछ परिवारों ने पॉपकॉर्न का ठेला लगाकर और कपड़े सिलकर अपने बच्चों को काबिल बनाया.
चयनित अभ्यर्थियों में कु. प्रीति सूर्यवंशी, टीना, आंचल, अनुज कुमार, सनी, अजय कुमार, रोबिन, विशांत, सागर, अरविंद, निशांत पूनिया, रितिक, नईम और प्रदीप का नाम शामिल है.
टीना पूनिया- छह बार प्रयास किया, अब जाकर सफलता मिली
टीना पूनिया के परिवार में भी खुशी का माहौल है. टीना के पिता सुरेश पाल और मां रेखा अनपढ़ हैं और खेती करते हैं. उन्होंने अपने बेटों की तरह बेटी को भी बराबरी से पढ़ाया. टीना ने छठे प्रयास में सफलता पाई और अब उनका सपना पूरा हो गया. टीना के पिता सुरेश पाल ने कहा, "जैसे मेरे लड़के हैं, वैसे ही मेरी बेटी है. खेतों में मेहनत कर इसे पढ़ाया और अब मेरा सपना पूरा हो गया."
आंचल- पिता ने मजदूरी कर पढ़ाया, अब बेटी बनी पुलिस कांस्टेबल
आंचल के पिता चंद्रपाल कश्यप मजदूर हैं. आंचल पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं और अपने छोटे भाई-बहनों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं. आंचल के पिता चंद्रपाल कश्यप ने कहा, "मैंने मजदूरी कर अपनी बेटियों को पढ़ाया है. मेरा सपना था कि मेरी बच्ची कामयाब हो जाए. योगी जी का धन्यवाद, मेहनत रंग लाई."
अजय और सनी- दो सगे भाइयों ने पुलिस में भर्ती होकर लिखी सफलता की नई कहानी
गांव के अजय और सनी, दो सगे भाई हैं, जिनका पुलिस में चयन हुआ है. इनके पिता बबलू पॉपकॉर्न का ठेला लगाते हैं और मां पूनम कपड़े सिलने और घरों में काम करने का काम करती हैं. दोनों भाई बेहद संघर्षों के बीच पढ़ाई करते थे. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
अजय का यह पांचवां प्रयास था, जबकि सनी कई बार असफल हुए, लेकिन इस बार उनका सपना पूरा हो गया. दोनों भाई एक ही किताब से पढ़ाई करते थे, क्योंकि परिवार के पास ज्यादा पैसे नहीं थे.
अजय और सनी के पिता बबलू ने कहा, "गांव में लोग कहते थे कि जवान लड़के हो गए हैं, लेकिन कोई काम नहीं कर रहे. अब जब मेरे दोनों बेटे पुलिस में भर्ती हो गए हैं, तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी है."
गांव में जश्न, सरकार को कहा धन्यवाद
गांव के लोग इस सफलता से बेहद उत्साहित हैं. हर घर में मिठाइयां बांटी जा रही हैं और युवाओं की मेहनत को सराहा जा रहा है. गांव के लोग उत्तर प्रदेश सरकार और योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद कर रहे हैं, जिनकी नीतियों के चलते उनके बच्चों को यह सफलता मिली. सरूरपुर गांव की आबादी करीब 8,000 है और यहां से इतनी बड़ी संख्या में पुलिस भर्ती में चयन होना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
मेरठ के सरूरपुर गांव के ये 14 युवा अब जल्द ही पुलिस की वर्दी में नजर आएंगे. इनकी मेहनत, परिवार का संघर्ष और गांव का समर्थन इनकी सफलता की असली वजह बने. यह कहानी सिर्फ मेरठ या यूपी के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
(रिपोर्ट- उस्मान चौधरी)