हम सबको पता है कि 15 साल से पुराने किसी भी तरह के वाहन को चलाने की मनाही है. अगर आप 15 साल पुराने वाहन को चलाते हैं तो इसके लिए कानूनन सजा का प्रावधान है. लेकिन बहुत से लोगों को अपने पुराने स्कूटर, कार-बाइक खास लगाव होता है. और वे चाहकर भी इन्हें कबाड़ में नहीं दे पाते हैं.
अगर आपको भी अपने किसी वाहन से ऐसा लगाव है, तो आप इसे अपने पास जरूर रख सकते हैं. जी हां, आप 15 साल से पुराने अपने पेट्रोल या सीएनएजी वाहन को बाहर चला नहीं सकते हैं, लेकिन अपने घर या गैराज में सहेज कर रखने में कोई परेशानी नहीं है.
पूरी करनी होगी कानूनी प्रक्रिया
हालांकि, इसके लिए आपको एक कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी. जिसके बाद आप अपने वाहन को अपने किसी निजी स्थान पर रख सकते हैं. लेकिन इस किसी भी कीमत पर चला नहीं सकते हैं.
हाल ही में, साकेत स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वृंदा कुमारी की अदालत ने एक मामले में इस तरह का फैसला सुनाया और इसके बाद यह आदेश पारित किया. दरअसल, एक व्यक्ति ने अपनी 15 साल पुरानी बाइक को कबाड़ में देने की बजाय, अपने घर में सहेजकर रखने के लिए याचिका दायर की थी. इसी मामले की सुनवाई में जज ने यह फैसला सुनाया.
मानने होंगे ये सभी नियम
अगर आप अपने किसी वाहन को अपने पास में रखना चाहते हैं तो आपके कुछ नियमों का पालन करना होगा. सबसे पहले आपको अदालत से इसके लिए परमिशन लेनी होगी. आपके पास अपने घर में या किसी निजी परिसर में एक तय जगह होनी चाहिए, जहां आप अपना पुराना वाहन रख सकें.
आप अदालत में इसके लिए याचिका दायर करके निजी परिसर में पुराना वाहन खड़ा करने की जगह होने और अन्य शर्तों को पूरा करने संबंधी शपथपत्र अदालत में दे सकते हैं. जिसके बाद, एक स्थानीय पुलिस अधिकारी वाहन के मालिक की निजी जानकारी और वाहन को खड़ा करने के उचित स्थान के संबंध में अदालत को रिपोर्ट देगा.
अगर रिपोर्ट से अदालत संतुष्ट होती है तो ही वाहन रखने के लिए अनुमति दी जाएगी.
नियम तोड़ने पर मिलेगी सजा
अगर आप अपने 15 साल से पुराने वाहन को घर में रखने की परमिशन ले रहे हैं तो ध्यान रहे कि यह किसी भी परिस्थिति में निजी परिसर से बाहर नहीं निकाला जाए. क्योंकि इस नियम का उल्लंघन करने पर कानून में सजा का प्रावधान है.
अगर इसके बाद, यह वाहन बाहर सड़क या पब्लिक पार्किंग में मिलता है तो इसके मालिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 177 के तहत कार्रवाई हो सकती है. दोष के साबित होने पर अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रावधान है.