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16th May in History: Atal की 13 दिन वाली सरकार! 27 साल पहले Vajpayee के PM बनने की पूरी कहानी

On This Day in 1996: साल 1996 में पहली बार केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम पद की शपथ ली थी. लेकिन सिर्फ 13 दिन बाद ही प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. अटल सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई थी.

16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी

27 साल पहले आज के दिन ही देश में सबसे कम समय वाली सरकार बनी थी. 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन अटल की ये सरकार सिर्फ 13 दिन ही चल पाई. पीएम अटल बिहारी वाजपेयी बहुमत साबित नहीं कर पाए थे. इसलिए उनको पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. चलिए आपको अटल बिहारी की 13 दिन वाली सरकार की पूरी कहानी बताते हैं.

1996 आम चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी-
देश में साल 1996 में लोकसभा चुनाव हुए. अप्रैल-मई में हुए इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बुहमत नहीं मिला था. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. लोकसभा चुनाव में पहली बार बीजेपी ने कांग्रेस से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने 161 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस को 140 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में क्षेत्रीय दलों का दबदबा था. 543 सीटों वाली लोकसभा की 129 सीटों पर क्षेत्रीय दलों का कब्जा हो गया था.

चुनाव में किसी को नहीं मिला बहुमत-
1996 आम चुनाव में जनता ने किसी को बहुमत नहीं दिया था. भले ही सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर बीजेपी सामने आई थी. लेकिन उसके पास बहुमत का आंकड़ा नहीं था. जबकि कांग्रेस दूसरी बड़ी पार्टी थी, इसलिए उसने पहले ही सरकार नहीं बनाने का फैसला कर लिया था. अब गेंद बीजेपी के पाले में थी. लेकिन उसके पास बहुमत नहीं था. बहुमत का आंकड़ा जुटाना पाना भी संभव नहीं दिख रहा था. इस चुना में कांग्रेस से कई बड़े नेताओं ने अपना नाता तोड़ लिया था और अलग-अलग दल बना लिया था. एनडी तिवारी ने ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी), माधवराव सिंधिया ने मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस और जीके मूपनार ने तमिल मनीला कांग्रेस बना लिया था. जिसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा था.

राष्ट्रपति ने बीजेपी को किया आमंत्रित-
चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने पर देश में एक सियासी संकट खड़ा हो गया था. इस हालात में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को देश के 13वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लिया. अटल को बहुमत साबित करने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया गया. इसके बाद उन्होंने बहुमत जुटाने की पूरी कोशिश की. लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाए. इसलिए 13 दिन बाद 28 मई को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

क्षेत्रीय दलों के समर्थन की थी उम्मीद-
अटल सरकार ने बहुमत साबित करने के लिए समर्थन जुटाना शुरू किया. इस चुनाव में अकाली दल ने पंजाब में 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी. अकाली दल ने अटल सरकार को समर्थन देने का फैसला किया. इसके बाद से ही बीजेपी-अकाली दल का गठबंधन बना. इसके अलावा मायावती की बीएसपी ने भी समर्थन का वादा किया था. लेकिन कुछ ही देर में मायावती ने अटल सरकार के विरोध में उतर आईं. बहुमत नहीं जुटा पाने की वजह से अटल सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था.

इस्तीफा से पहलेअटल का यादगार भाषण-
अटल सरकार बहुमत नहीं जुटा पाई थी. इसके बाद पीएम वाजपेयी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि इससे पहले उन्होंने ऐतिहासिक भाषण दिया था. पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हमारा क्या अपराध है. हमें क्यों कठघरे में खड़ा किया जा रहा है? यह जनादेश ऐसे ही नहीं मिला है. हमने मेहनत की है. इसके पीछे वर्षों का संघर्ष है, साधना है. हम देश सेवा कर रहे हैं वो भी निस्वार्थ भाव से और पिछले 40 सालों से ऐसे ही करते आ रहे हैं. अटल ने कहा था कि एक-एक सीट वाली पार्टियां कुकुरमुत्ते की तरह उग आती हैं. राज्य में आपस में लड़ती हैं और दिल्ली में आकर एक हो जाती हैं. हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो कार्य हमने अपने हाथों में लिया है, उसे पूरा किए बिना विश्राम नहीं करेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देने जा रहा हूं.

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