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साल 1979 में मच्छु नदी में डैम टूटने से मोरबी शहर बन गया था श्मशान, 1400 लोगों की जान लेने वाले हादसे का दर्द

रविवार को गुजरात के मोरबी शहर में हुए हादसे ने लोगों को 1979 में हुए हादसे की याद दिला दी, जिसमें कुल 1400 लोगों की जान गई थी. इस हादसे में मच्छू नदी पर बने डैम के टूटने से पूरे शहर में तबाही आ गई थी.

मोरबी शहर का वो खौफनाक मंजर जब 1400 लोगों ने गंवाई थी जान मोरबी शहर का वो खौफनाक मंजर जब 1400 लोगों ने गंवाई थी जान
हाइलाइट्स
  • ओवरफ्लो हो गया था डैम

  • 1400 लोगों ने गंवाई थी जान

रविवार को गुजरात  के मोरबी शहर में हुए हादसे में मच्छु नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज टूट गया. जिस वक्त ये पुल टूटा उस वक्त पुल पर लगभग 500 लोग सवार थे, जो पुल टूटते ही नदी में जा गिरे. इस हादसे में लगभग 140 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. इस हादसे को देखकर मोरबी के लोगों को एक और दर्दनाक घटना याद आ गई होगी. ये हादसा है, 11 अगस्त 1979 का जब इसी मच्छु नदी का डैम टूट गया था, और पूरा शहर शमशान में तब्दील हो गया था.

ओवरफ्लो हो गया था डैम
लगातार बारिश और स्थानीय नदियों में बाढ़ के चलते मच्छु नदी का डैम ओवरफ्लो हो गया था. इससे कुछ ही देर में पूरे शहर में तबाही मच गई थी. 11 अगस्त 1979 को दोपहर सवा तीन बजे डैम टूट गया और 15 मिनट के अंदर डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया. देखते ही देखते मकान और इमारतें गिरने लगीं, तबाही ऐसी की लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला. 

1400 लोगों ने गंवाई थी जान
सरकार के आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में 1439 लोग और 12,849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी. बाढ़ का पानी उतरा तो लोगों ने खौफनाक मंजर देखा. इंसानों से लेकर जानवरों तक के शव खंभे से लटके मिले थे. इस हादसे में पूरा शहर मलबे में तब्दील हो चुका था. चारों तरफ लाशें ही लाशें नजर आ रही थीं. इस हादसे के बाद जब इंदिरा गांधी  ने मोरबी का दौरा किया था, तो लाशों की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि उनको नाक में रुमाल रखनी पड़ी थी. इंसानों और मवेशियों की लाशें सड़ चुकी थीं. उस समय मोरबी का दौरा करने वाले नेता और राहत एवं बचाव कार्य में लगे लोग भी बीमारी का शिकार हो गए थे.

जब मोदी ने साधा था इंदिरा पर निशाना
करीब पांच साल पहले मोरबी में चुनावी रैली के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनावी रैली के दौरान कहा था कि, "मच्छू बांध त्रासदी के बाद राहत कार्य के दौरान राहुल गांधी की दादी इंदिराबेन मुंह पर रुमाल डाले दुर्गंध और गंदगी से बच रही थीं. जबकि, संघ के कार्यकर्ता कीचड़ व गंदगी में घुस कर सेवा भाव से काम कर रहे थे.