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20 सालों से ये शख्स कर रहा शिवाजी को नमन, हर शाम ड्रम बजाकर देता है सलामी

मुंबई के रहने वाले महबूब इमाम हुसैन हर रोज़ शाम के समय मावला की पारंपरिक सफेद पोशाक पहन कर, कमर पर भगवा कमरबंद और टोपी के साथ प्रतिष्ठित धनुषाकार गेटवे ऑफ इंडिया के केंद्र में रखे गए  ड्रम के पास जाते है और हर रोज़ उस ड्रम को बजाकर छत्रपति शिवाजी महाराज को सलामी देते हैं.

20 सालों से ये शख्स कर रहा शिवाजी को नमन 20 सालों से ये शख्स कर रहा शिवाजी को नमन
हाइलाइट्स
  • छत्रपति शिवाजी के बलिदानों के नमन करने का अनोखा प्रण

  • हर शाम ड्रम बजाकर महबूब शिवाजी को करते हैं नमन

भारत एक ऐसा देश जहाँ पर अनगिनत वीरों ने जन्म लिया और देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान का बलिदान दिया. वही भारत में ऐसे कई वीर राजा भी थे. जिन्होंने भारत माता की रक्षा के लिए सब कुछ अपना दांव पर भी लगा दिया था. वहीं देश में अभी भी उन वीरों को मान सम्मान दिया जाता है. ऐसे ही एक शूरवीर है, जिसने अपने देश और अपनी धरती के लिए अनगिनत बलिदान दिए. वो नाम है छत्रपति शिवाजी महाराज का.

छत्रपति शिवाजी के बलिदानों के नमन करने का अनोखा प्रण
छत्रपति शिवाजी महाराज यह नाम अभी भी दुश्मन के जेहन में डर पैदा करता है. छत्रपति शिवाजी महाराज ने देश और महाराष्ट्र के लिए अनगिनत लड़ाइयां लड़ी है. देश को दुश्मन के चंगुल से भी निकला और यही कारण है कि अभी भी महाराष्ट्र को छत्रपति शिवाजी महाराज का महाराष्ट्र कहा जाता है. ऐसे में हर कोई छत्रपति शिवाजी महाराज के देश के लिए दिए गए बलिदानों को नमन करता है. ऐसे ही मुंबई में रहने वाले एक व्यक्ति ने छत्रपति शिवाजी महाराज के बलिदानों को नमन करने के लिए एक अनोखा प्रण लिया है.

हर शाम ड्रम बजाकर महबूब शिवाजी को करते हैं नमन
मुंबई के रहने वाले महबूब इमाम हुसैन हर रोज़ शाम के समय मावला की पारंपरिक सफेद पोशाक पहन कर, कमर पर भगवा कमरबंद और टोपी के साथ प्रतिष्ठित धनुषाकार गेटवे ऑफ इंडिया के केंद्र में रखे गए  ड्रम के पास जाते है और हर रोज़ उस ड्रम को बजाकर छत्रपति शिवाजी महाराज को सलामी देते हैं. महबूब इमाम हुसैन पिछले 20 साल से यह प्रक्रिया हर रोज़ करते है और बड़ी ही भावुकता से ड्रम बजाते है. छत्रपति शिवाजी महाराज के मान सम्मान में सलामी देते हैं. ड्रम बजाने का मतलब यह भी होता है की अब सूर्य अस्त हो गया है और किलो के दरवाज़े बंद होने का समय हो गया है. इस परंपरा को महबूब इमाम हुसैन  ने अभी भी जीवित रखा है.

किलों के दरवाजे बंद होने का प्रतीक है ड्रम बजाना
ड्रम बजाने की परंपरा मराठा साम्राज्य के दौरान शुरू की गयी थी. यह ड्रम छत्रपति शिवाजी महाराज के किलों में रखा जाता था और इस को हर रोज़ शाम के समय सूर्यास्त के समय बजाया जाता था. जिस से यह पता लग सके सबको की क़िले के दरवाज़े अब बंद हो रहे है.