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उड़ीसा के बारगढ़ में मिलीं 2000 साल पुरानी कलाकृतियां, शिक्षा मंत्री ने की पुरातत्व विभाग से संरक्षण की मांग 

उड़ीसा के बारगढ़ जिले में खुदाई में कलाकृतियां बरामद की गईं हैं. बताया जा रहा है कि ये 2000 साल पुरानी हैं. अब इनको लेकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी को इन कलाकृतियों के संरक्षण को लेकर पत्र लिखा है.

Artifacts (Photo: Representative Image) Artifacts (Photo: Representative Image)
हाइलाइट्स
  • इन कलाकृतियों का किया जाए संरक्षण 

  • बारगढ़ के अश्विनी कुमार सारंगी से मिली याचिका

कुछ समय पहले उड़ीसा (Odisha) के बारगढ़ (Bargarh) जिले के बरपाली (Barpali) में खुदाई में  2000 साल पुरानी कलाकृतियां (Artifacts) बरामद की गईं थीं. अब शनिवार को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पुरातत्व विभाग से (ASI) से बारगढ़ में मिली 2,000 साल पुरानी मौर्योत्तर काल के बाद की कलाकृतियों की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया है. 

इन कलाकृतियों का किया जाए संरक्षण 

बताते चलें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी को इन कलाकृतियों के संरक्षण को लेकर पत्र लिखा है. उन्होंने इस पत्र में उनसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को खुदाई और संरक्षण के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया है.

बारगढ़ के अश्विनी कुमार सारंगी से मिली याचिका

केंद्रीय पर्यटन मंत्री को लिखे इस पत्र में शिक्षा मंत्री ने व्यक्तिगत हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा, “मुझे बारगढ़ के अश्विनी कुमार सारंगी से एक याचिका मिली है जिसमें गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय, बारगढ़ के इतिहास विभाग के द्वारा की गई इस खोज के बारे में बताया गया है. इसकी गहराई में जाने पर, मुझे पता चला है कि इतिहास विभाग के लगभग 60 छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों ने 31 मई को साइट पर खुदाई शुरू की थी. 17 हेक्टेयर में फैले इस स्थल से कई अमूल्य कलाकृतियां और प्राचीन वस्तुएं मिली हैं. ये मौर्य काल की हैं."

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने आगे पत्र में लिखा, "इस तरह की एक बड़ी पुरातात्विक खोज काफी कम देखी गई है. इस नए पाए गए पुरातात्विक स्थल के विशाल ऐतिहासिक मूल्य और अनदेखी क्षमता को ध्यान में रखते हुए, मैं एएसआई के अधिकारियों को इसके संरक्षण के लिए साइट पर कब्जा करने का निर्देश देने में आपका व्यक्तिगत हस्तक्षेप चाहता हूं. हो सकता है कि आगे की खुदाई में और भी खुलासे हों.”

31 मई हो हुई थी खोज 

गौरतलब है कि ये खोज मौर्योत्तर काल के बाद की सभ्यता को उजागर करती है. 31 मई को गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय (Gangadhar Meher University) के इतिहास विभाग की ओर से इस जगह पर खुदाई शुरू की गई थी. खुदाई में लगभग 60 छात्रों ने भाग लिया था. इसमें दो खंदक और तीन प्रवेश द्वार वाले दो किले मिले हैं. जो  कलाकृतियों बरामद की गई हैं उनसे पता चलता है कि यह बस्ती मौर्योत्तर काल के बाद की एक शहरी बस्ती थी. ये लगभग 2,000 साल पुरानी है.

(इनपुट: मोहम्मद सुफियान)