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21 साल की श्रेया बनीं एक दिन की British high Commissioner, वैश्विक चुनौतियों से निपटने में महिलाओं की भूमिका से लेकर साइंस और टेक्नोलॉजी पर की बात 

श्रेया धर्मराजन टीच फॉर इंडिया की फेलो हैं. लेडी श्रीराम कॉलेज से पोलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन कर चुकी श्रेया ने 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर ये प्रतियोगिता जीती थी. 

श्रेया धर्मराजन श्रेया धर्मराजन
हाइलाइट्स
  • उनके छात्रों ने किया काफी प्रोत्साहित 

  • लड़की बनीं एक दिन की ब्रिटिश हाई कमिश्नर

जरा सोचिए अगर आपको केवल एक दिन के लिए ब्रिटिश हाई कमिश्नर बना दें तो? दरअसल, चेन्नई की इक्कीस साल की श्रेया धर्मराजन के साथ यही हुआ है. ब्रिटिश हाई कमिश्नर की एक प्रतियोगिता जीतने के बाद उन्हें एक दिन के लिए ब्रिटिश हाई कमिश्नर बनने का मौका मिला. श्रेया धर्मराजन टीच फॉर इंडिया की फेलो हैं. लेडी श्रीराम कॉलेज से पोलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन कर चुकी श्रेया ने इसके लिए एक प्रतियोगिता जीती थी.

बता दें, नई दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमिश्न अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (11 अक्टूबर) मनाने के लिए 2017 से हर साल ये प्रतियोगिता आयोजित करता है. इसमें एक दिन के लिए हाई कमिश्नर बनाया जाता है. इस साल इसके लिए 180 प्रतिभाशाली युवा महिलाओं ने आवेदन किया था. 

एक कमिश्नर के जीवन के कामकाज को देखा

श्रेया धर्मराजन को इस विशेष दिन पर एक कमिश्नर के जीवन के कामकाज को देखने और यूके-भारत की साझेदारी को देखने का मौका दिया गया. भारत में ब्रिटिश हाई कमिश्नर रहते हुए श्रेया ने कई मुद्दों पर बातचीत की. जैसे एडवांसिंग एंड सस्टेनेबल डेवलप गोल (SDGs), भारत और यूके के बीच रिसर्च के लिए हुए कॉलेबोरेशन आदि. 

भारत में हाई कमिश्नर एलेक्स एलिस ने श्रेया को लेकर कहा, “दिन भर श्रेया का अनुसरण करना शानदार था. श्रेया ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में युवा महिलाओं की भूमिका से लेकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी पर यू.के.-भारत साझेदारी तक सभी को लेकर बातचीत की. 

हाई कमिश्नर बनने के दौरान की कई मुद्दों पर बात 

द हिन्दू को श्रेया ने बताया कि उन्होंने अपने कॉलेज के दौरान इलेक्ट्रिक बसों में यात्रा की थी, अब हाई कमिश्नर के रूप में उन्हें इलेक्ट्रिक व्हीकल को हरी झंडी दिखाने का मौका मिला, जिससे वे काफी खुश हैं. श्रेया ने इसे लेकर कहा, “मुझे व्यापक क्षेत्रों में महिला नेतृत्व के प्रेरक उदाहरणों के साथ बातचीत करने और उनसे सीखने का मौका मिला. मैं SDG के बारे में बात करके और इस दिशा में भारत के प्रयासों के बारे में चर्चा का हिस्सा बनकर अपने आप को काफी भाग्यशाली महसूस कर रही हूं.”

उनके छात्रों ने किया काफी प्रोत्साहित 

वर्तमान में मुंबई में रहने वाली टीच फॉर इंडिया फेलो, श्रेया ने कहा कि वह अपने छात्रों के लिए उस दिन की सीख को वापस ले जाने के लिए काफी उत्साहित हैं. वे उन्हें इसके बारे में सबकुछ बताना चाहती हैं. प्रतियोगिता के लिए जब श्रेया ने अप्लाई किया था तब उस समय उनके छात्र उनके लिए एक बड़ी प्रेरणा थे. उन बच्चों ने अपनी कक्षा में पहले से ही हो रही चर्चाओं को आवाज देने के लिए एक मंच खोजने के लिए प्रेरित किया. श्रेया ने इसपर भी गौर किया कि कैसे एसडीजी गरीबी, लैंगिक असमानता और उनके छात्रों के सामने आने वाली अन्य समस्याओं का समाधान कर सकते हैं.

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