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21th June in History: इस दिन PV Narasimha Rao ने ली थी पीएम पद की शपथ, संन्यास का मन बना चुके राव के प्रधानमंत्री बनने की कहानी

On This in 1991: 21 जून 1991 को को पीवी नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. कहा जाता है कि जिस समय उनको पीएम बनाया गया, उस वक्त वो सियासत से संन्यास लेने की सोच रहे थे. लेकिन किस्मत ने पलटी मारी और वो पीएम बन गए.

21 जून 1991 को पीवी नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी 21 जून 1991 को पीवी नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी

आज के दिन यानी 21 जून 1991 को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ऐसा शख्स बैठा, जिसने भारत की आर्थिक तस्वीर बदल दी. उस शख्स का नाम पीवी नरसिम्हा राव था. कहा जाता है कि उनको जब प्रधानमंत्री बनाया गया, उस समय वो सियासत से संन्यास लेने का मन बना चुके थे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने और 5 साल तक शासन किया. इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए. उनके फैसलों की वजह से ही आज देश की अर्थव्यवस्था इतनी ऊंचाइयां छू रही हैं. चलिए आपको 2 कंप्यूटर लैंग्वेज में मास्टर्स, 17 भाषाएं जानने वाले 70 साल के पामुलापति वेंकट नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री बनने के पीछे की पूरी कहानी बताते हैं.

10वीं लोकसभा का चुनाव और राजीव की हत्या-
16 महीनों के भीतर ही 9वीं लोकसभा चुनाव भंग हो गई. साल 1991 में 10वीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया था. 3 चरणों में चुनाव हो रहे थे. चुनाव-प्रचार जोरशोर से चल रहा था. लेकिन इस बीच एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे सियासी समीकरण को बदल दिया. 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेंरबदूर में एक चुनाव सभा में पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. कुछ दिनों के लिए चुनाव प्रक्रिया रोक दी गई थी. लेकिन फिर चुनाव हुए और कांग्रेस के प्रति लोगों में सहानुभूति देखने को मिली.

सोनिया गांधी का इनकार, पीएम के दावेदार-
राजीव गांधी की हत्या के बाद 22 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की इमरजेंसी बैठक में अर्जुन सिंह ने सोनिया गांधी को पार्टी लीडर चुने जाने की वकालत की थी. लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया था. इसके बाद कांग्रेस पीएम पद के लिए दावेदारों की लिस्ट लंबी होने लगी. प्रधानमंत्री की रेस में शरद पवार का नाम सबसे आगे था. इसके अलावा दिग्गज नेता अर्जुन सिंह और एनडी तिवारी भी दावेदारों में शामिल थे. विनय सीतापति की किताब 'हाफ लॉयन' के मुताबिक इंदिरा गांधी के प्रमुख सचिव रहे पीएन हक्सर ने सोनिया गांधी को नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाने की सलाह दी. किताब के मुताबिक सोनिया गांधी की पहली पसंद शंकर दयाल शर्मा थे. लेकिन उन्होंने सेहत और उम्र को लेकर इस पद को संभालने से इनकार कर दिया. इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव का नाम सामने आया था.

नतीजे आने के बाद क्या हुआ-
जब 18 जून को 10वीं लोकसभा चुनाव नतीजे आए तो कांग्रेस को 232 सीटों पर जीत मिलीं. पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. किताब के मुताबिक 20 जून तक शरद पवार पीएम पद की रेस में थे. लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली. 20 जून को संसदीय दल की बैठक हुई. जिसमें नरसिम्हा राव को संसदीय दल का नेता चुना गया. इस बैठक में अर्जुन सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव दिया था.

21 जून को पीएम बने नरसिम्हा राव-
21 जून 1991 को पीवी नरसिम्हा राव ने प्रधानंत्री पद की शपथ ली. वो इस पद पर 16 मई 1996 तक बने रहे. उन्होंने डॉक्टर मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया. जिन्होंने रुपए का अवमूल्यन और औद्योगिक नीति में बड़े बदलाव किए. राव की सरकार ने उद्योगों के लिए लाइसेंसिंग नियम खत्म करना, बड़ी कंपनियों के प्रति एकाधिकार विरोधी प्रतिबंधों को आसान बनाना, 34 उद्योगों में विदेशी निवेश की सीमा 40 फीसदी से बढ़ाकर 51 फीसदी कर दिया गया. 
पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू ने अपनी किताब '1991: हाउ पीवी नर सिम्हा राव मेड हिस्ट्री' में उनको एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर बताया है.

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