26/11 को कौन भूल सकता है? साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के निशान न सिर्फ मुंबई के लोगों के बल्कि पूरे देश के मन पर छपे हुए हैं. लगभग चार दिन तक चले उस हमले में मुंबई की अलग-अलग जगहों पर 15 देशों के 166 लोगों की मौत हुई.
इन हमलों को पाकिस्तान स्थित जिहादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के 10 सदस्यों ने अंजाम दिया था. ताजमहल पैलेस होटल के अलावा नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस सहित अन्य कई स्थानों पर हमले हुए थे.
यह शायद पहला आतंकी हमला था जिसकी वैश्विक स्तर पर निंदा हुई. और जिसने न सिर्फ विश्व संगठनों बल्कि भारत सरकार की भी आंखें खोल दीं कि देश को अपने आतंक विरोधी अभियानों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.
पाकिस्तान से आये थे सभी हमलावर:
इस हमले में पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने पुष्टि की कि हमले की योजना, समन्वय और संचालन एलईटी और अन्य पाकिस्तान स्थित आतंकी मॉड्यूल द्वारा किया गया था. कसाब ने यह भी बताया कि सभी हमलावर पाकिस्तान से आए थे और उन्हें पाकिस्तान में बैठे कुछ लोगों द्वारा कंट्रोल किया जा रहा था.
हमले के दस साल बाद, पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने एक सनसनीखेज खुलासे में यह संकेत भी दिया कि 2008 के मुंबई हमलों में इस्लामाबाद की भूमिका रही थी. वर्तमान साक्ष्यों के मुताबिक अजमल कसाब, डेविड हेडली और जबीउद्दीन अंसारी के पूछताछ के दौरान यह साबित हुआ कि पाकिस्तान आतंकवाद को सपोर्ट करता है.
न्याय के लिए नहीं दिखाई ईमानदारी:
लेकिन बिडंवना यह है कि भारत द्वारा दिए गए सभी आवश्यक सबूतों और अपनी खुद की सार्वजनिक स्वीकृति के बावजूद पाकिस्तान ने ईमानदारी नहीं दिखाई है. अब तक भी 26/11 के लिए जिम्मेदार आतंकियों को पाकिस्तान ने कोई सजा नहीं दी है.
बल्कि 7 नवंबर को, एक पाकिस्तानी अदालत ने छह आतंकवादियों को मुक्त कर दिया. जिनमें हाफिज सईद द्वारा तैयार किए गए आतंकी शामिल थे. हाफिज सईद संयुक्त राष्ट्र नामित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और इसकी चैरिटी विंग, जमात-उद-दावा (JuD) का संस्थापक है।
लश्कर-ए-तैयबा कमांडर और 2008 के मुंबई हमलों के सरगना जकी-उर-रहमान लखवी भी देश के पंजाब प्रांत के आतंकवाद-रोधी विभाग (सीटीडी) द्वारा आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार होने के बाद भी 2015 से जमानत पर था. लखवी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा भी आतंकवादी घोषित किया जा चुका है.
इस साल की शुरुआत में लखवी को पाकिस्तान में फिर से गिरफ्तार किया गया था. लेकिन इस बात को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि उसे पाकिस्तान में सजा मिलेगी. क्योंकि लोगों का कहना है कि पाकिस्तान में राजनीति अक्सर न्याय के रास्ते में आ जाती है.
खुद को बचाने के लिए बदलते हैं नाम:
पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन भी जांच से बचने और खुद को बचाने के लिए अपना नाम बदलते रहते हैं. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद विरोधी संगठन ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है.
इस साल अप्रैल में, न्यूयॉर्क स्थित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टार्ट-अप ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान ने चुपचाप अपनी आतंकी निगरानी सूची से लगभग 4,000 आतंकवादियों के नाम हटा दिए हैं. हटाए गए नामों में लश्कर नेता और मुंबई हमले का मास्टरमाइंड जाकिर उर रहमान लखवी और कई अन्य शामिल हैं.
इसलिए सवाल यही है कि क्या कभी पाकिस्तान 26/11 हमलों के पीड़ित परिवारों को न्याय देगा? हमलों के 13 साल बाद भी पाकिस्तान ने अपनी तरफ से इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देने की कोई कोशिश नहीं की है. लेकिन अब भारत ने आतंकवाद पर अपनी नीतियों को और मजबूत कर दिया है. देश में न सिर्फ सुरक्षा बढ़ाने पर काम हुआ है बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान मजबूत हो रही है. साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा खुलकर पाकिस्तान द्वारा स्पोंसर्ड आतंकवाद का विरोध किया जा रहा है.