आज विश्व भर में महिला दिवस मनाया जा रहा है. ऐसे में बीएसएफ की महिला विंग सीमा भवानी ने देश की महिलाओं को प्रेरित करने के लिए एक अनोखी यात्रा शुरू की. बीएसएफ का सीमा भवानी ग्रुप 36 महिला बाइक राइडर्स का ग्रुप है. सीमा भवानी सहित 36 महिला जवानों ने दिल्ली के इंडिया गेट से बुलेट पर अपनी यात्रा शुरू की. यह ग्रुप 5280 किमी की यात्रा करके कन्याकुमारी पहुंचेगा.
इस यात्रा का मकसद महिलाओं को यह संदेश देना है कि वह किसी से भी कमजोर नहीं है और उन्हें कभी हार नहीं माननी चाहिए. आइए आपको सीमा भवानी ग्रुप की कुछ महिलाओं की कहानी सुनाते हैं, जिन्होंने कई चुनौतियों के बावजूद कभी हार नहीं मानी.
घरवालों को भी अब मुझ पर गर्व है- जना
महाराष्ट्र की रहने वाली कसबे जना ने 2014 में बीएसएफ ज्वाइन की थी. कसबे जना बताती हैं कि 2018 में उन्हें सीमा भवानी की टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला. इससे पहले उन्होंने कभी साइकिल भी नहीं चलाई थी. बुलेट सीखने के दौरान कई बार गिरी, चोट भी लगी लेकिन, हिम्मत नहीं हारी. मन के अंदर एक जज्बा था, फिर उन्हें मालूम हुआ कि वह 26 जनवरी की परेड का भी एक हिस्सा बनेंगे तो उनका उत्साह चार गुना हो गया. जना बताती हैं कि घरवालों को भी अब मुझ पर गर्व महसूस होता है.
अपने पति को बाइक पर घुमाती हूं - सीमा
सीमा भवानी में शामिल सुमिता सिकंदर ने 2014 में बीएसएफ में एंट्री की. सुमिता कहती हैं कि पहले बीएसएफ में सिर्फ पुरुष बाइकर्स का ग्रुप था उन्हें देखकर उनके मन में भी आता था कि बुलेट चलाऊं, स्टंट करूं लेकिन, तब ऐसा ग्रुप नहीं था. फिर 2016 में मौका मिला. सुमिता के पति पेशे से इंजीनियर हैं.
वह बताती हैं कि जिस तरह एक सफल आदमी के पीछे एक महिला होती है उसी तरह एक सफल आदमी के पीछे एक पुरुष होता है. पति बहुत सपोर्ट करते हैं जब उन्हें मालूम हुआ कि बुलेट चलानी है तो उन्होंने बहुत हौसला बढ़ाया. अब जब हम दोनों मिलते हैं तो वो बाइक पर पीछे बैठते हैं और मैं चलाती हूं.
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