24 साल पहले साल 1999 में आज के दिन यानी 4 जुलाई को भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर फतह के दौरान हलवदार योगेंद्र यादव ने असाधारण वीरता दिखाई थी. 2 जुलाई को 18वीं ग्रेनेडियर्स की प्लाटून को फतह का जिम्मा दिया गया था. इस लड़ाई में हलवदार योगेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी. उनको 15 गोलियां लगी थीं. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. 19 साल की उम्र में योगेंद्र यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
टाइगर हिल पर कब्जे की लड़ाई-
टाइगर हिल पर कब्जे की लड़ाई में 44 जवानों ने शहादत दी थी. 15 मई को 8 सिख के जवानों ने टाइगर हिल की घेरेबंदी की. 2 जुलाई को फतह की जिम्मेदारी 18 ग्रेनेडियर को सौंपी गई. इस प्लाटून ने टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया. 18 ग्रेनेडियर की अगुवाई कर्नल खुशहाल ठाकुर ने की. कमांडो टीम का नेतृत्व कैप्टन बलवान सिंह ने किया.
दुश्मनों ने योगेंद्र यादव को मारी गोली-
हलवदार योगेंद्र यादव 18 ग्रेनेडियर की घातक प्लाटून के सदस्य थे. 3 जुलाई को दुश्मन की भारी गोलीबारी के बीच योगेंद्र ने बर्फीली चट्टान पर चढ़ाई शुरू की. उन्होंने ऊपर पहुंचकर दुश्मनों पर टूट पड़े और उनके बंकर तबाह कर दिए. इस दौरान दुश्मन जवान भारतीय सेना पर फायरिंग करने लगे. एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक योगेंद्र यादव ने बताया कि 30-35 पाकिस्तानी हम पर हमला करने लगे. हमारी साथी शहीद हो गए. पाकिस्तान सैनिक चेक करने आए कि कोई जिंदा तो नहीं है. पाकिस्तानी सैनिक हमारे जवानों की लाशों पर गोलियां मार रहे थे. योगेंद्र यादव ने बताया कि पाकिस्तानियों ने मेरे हाथ, जांच और पैर में गोलियां मारी. उनको यकीन हो गया कि कोई जिंदा नहीं हैं. पाकिस्तानी सेना के कमांडर ने टाइगर हिल के नजदीक अपने बेस कैंप में कहा कि भारतीय सेना के एमएमजी कैंप पर हमला कर दो. मुझे बस यही लग रहा था कि किसी तरह से ये मैसेज अपने साथियों को देना है.
योगेंद्र यादव ने फेंका ग्रेनेड-
योगेंद्र यादव ने बताया कि एक पाकिस्तानी का पैर मेरे पेर से टकराया तो मुझे महसूस हुआ कि मैं जिंदा हूं. मैंने ग्रेनेड से पिन निकालकर पाकिस्तानी सैनिकों की तरफ फेंका. बम पाकिस्तानी सैनिक के कोट के हुड में घुस गया. उसका सिर उड़ गया. मैंने राइफल उठाकर हमला किया. इसके बाद वो भाग गए. योगेंद्र के मुताबिक वो वहां से भागकर दूसरी जगह पहुंचे. वहां पाकिस्तानी सेना के जवानों के हथियार रखे हुए थे. योगेंद्र यादव नाले में कूद गए और अपने साथियों के पास पहुंच गए. उन्होंने पाकिस्तानी सेना की पूरी जानकारी उनको दी. बताया जाता है कि बलवान सिंह के साथ 20 सैनिक गए थे, लेकिन जब लड़ाई खत्म हुई तो सिर्फ 2 लोग जिंदा बचे थे. टाइगर हिल पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया था. योगेंद्र यादव को बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.
शादी के 15 दिन बाद कमांड से आया बुलावा-
साल 1999 में योगेंद्र यादव की शादी हुई थी. वे गांव में छुट्टी पर गए थे. अभी 15 दिन ही बीते थे कि पता चला कि सरहद पर युद्ध छिड़ने वाला है. उनको कमांड से बुलावा आ गया. वो 18 ग्रेनेडियर का हिस्सा थे. योगेंद्र यादव उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 10 मई 1980 को हुआ था. 16 साल 5 महीने की उम्र में योगेंद्र यादव सेना में भर्ती हुए. 19 साल की उम्र में वो टाइगर हिल पर फतह करने वाले प्लाटून में शामिल थे.
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