मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जड़वासा गांव में बालम खीरा (Balam Kheera food poisoning) खाने से एक ही परिवार के चार लोग बीमार हो गए. परिवार के सभी बीमार सदस्यों रतलाम के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. इनमें से पांच साल के बच्चे क्रियांश की मौत हो गई. हालांकि परिवार के बाकी तीन सदस्यों को आईसीयू (ICU) में भर्ती कराया गया है. डॉक्टर ने उन्हें खतरे से बाहर बताया है.
क्या है मामला?
फ्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दो अक्टूबर को जड़वासा गांव के रहने वाले मांगीलाल पाटीदार की पत्नी कविता, 11 साल की बेटी दक्षिता, आठ साल की बेटी साक्षी और पांच साल के बेटे क्रियांश ने बालम खीरा खाया. इसके बाद उन्हें उल्टियां होने लगीं और उन्होंने घबराहट की शिकायत की. तबीयत बिगड़ने पर चारों को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया.
तीन अक्टूबर को निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने दवा देकर सभी को घर लौटा दिया. लेकिन इसी रात सभी की तबीयत दोबारा बिगड़ गई और पूरे परिवार को दोबारा उल्टियां होने लगीं. परिजन उन्हें लेकर अस्पताल गए. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बताया कि क्रियांश की मौत पहले ही हो गई है. जबकि साक्षी, दक्षिता और कविता का इलाज चल रहा है. साक्षी और दक्षिता को आईसीयू में भर्ती किया गया है, जबकि उनकी मां कविता सामान्य वॉर्ड में भर्ती हैं.
क्या है बालम खीरा?
बालम खीरा (Kigelia Africana) मध्यप्रदेश में उगने वाली खास सब्जी है. यह सब्जी लौकी जैसी दिखती है और पकने पर अंदर से हल्की नारंगी हो जाती है. इसे केसरिया बालम खीरा भी कहा जाता है. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट बताती है कि बालम खीरा रतलाम, झाबुआ और धार जिलों में ज्यादा उगता है. यह मौसमी खीरा स्वाद में हल्का मीठा होता है और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता.
बालम खीरा का इस्तेमाल औषधीय तौर पर भी होता है. पथरी के इलाज में बालम खीरे का जूस फायदेमंद होता है. शरीर में चर्बी कम करने के लिए भी इसका जूस पिया जाता है. हालांकि इससे जुड़ी कुछ सावधानियां भी हैं. जैसे कच्चा बालम खीरा जहरीला होता है. रात में इसे खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.
मामले पर क्या बोले डॉक्टर?
भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, रतलाम मेडिकल कॉलेज के सहायक अधीक्षक डॉ प्रदीप मिश्रा का कहना है कि बच्चे की मौत का कारण बालम खीरे में कीटनाशक की मौजूदगी भी हो सकती है. बालम खीरे को सीधे तौर पर पांच साल के क्रियांश की मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
फसलों पर छिड़के गए पेस्टिसाइड्स जब पूरी तरह से हट नहीं पाते तो खाने के साथ हमारे पेट में जाते हैं. इस तरह का खाना हमारे पेट में पहुंचकर फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है. अगर ताज़ी सब्ज़ियों और फलों को अच्छी तरह से साफ़ नहीं किया जाता है तो उनके ऊपर मौजूद पेस्टिसाइड्स सीधे हमारे शरीर में पहुंचते हैं. इससे फूड पॉइज़निंग हो सकती है.
फिलहाल क्रियांश के परिजनों ने स्थानीय अस्पताल पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है. भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के ऐपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ गौरव बोरीवाल ने कहा है कि सही समय पर सही इलाज न मिलने के कारण क्रियांश की मौत हुई है. जांच के लिए क्रियांश का ब्लड सैंपल ले लिया गया है. स्थानीय पुलिस चौकी को लिखित में शिकायत भी दे दी गई है.