केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में बहुत से आंकड़ों का खुलासा किया गया है. जिनमें से कुछ आंकड़ों के बारे में जानकर आपको खुशी होगी तो कुछ आंकड़ों को सुधारने के लिए अभी और काम करना होगा.
सर्वे में बताया गया है कि देश में पहली बार महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा हो गई है. वर्तमान में, महिला-पुरुष लिंगानुपात 1020:1000 है. यह बहुत ही खुशी की बात है. लेकिन एकदम सही आंकड़े जनसंख्या गणना के बाद ही पता चल पाएंगे.
70% से ज्यादा महिलाओं के पास है अपना बैंक खाता:
इसके अलावा, सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि शहरी भारत में लगभग 81% तो ग्रामीण भारत में लगभग 71.4% महिलाओं का बैंक में खाता है. और अपने खाते को महिलाएं खुद संचालित करती हैं. अगर औसतन देखा जाए तो देश में 78.6% महिलाओं का बैंक में खाता है.
NFHS-4 (2015-16) की रिपोर्ट में सिर्फ 53% महिलाओं का बैंक खाता था. लेकिन इस बार के आंकड़ों में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है.
संपत्ति पर मालिकाना हक:
वहीं अगर बात करें कि देश में कितनी महिलाएं किसी संपत्ति की मालकिन हैं तो सर्वे के मुताबिक सिर्फ 43.3% महिलाओं के पास अपने नाम पर घर या जमीन जैसे संपत्ति है. और आपको जानकर हैरानी होगी कि शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ज्यादा महिलाओं के नाम पर जमीन जायदाद है.
शहरों में 38.3% महिलाओं के नाम पर संपत्ति है तो वहीं ग्रामीण इलाकों में 45.7% महिलाओं के नाम पर संपत्ति है.
माहवारी के दिनों में स्वच्छ तरीके अपना रही हैं महिलाएं:
साल 2015-16 में हुए सर्वे की बात करें तो तब पता चला था कि देश में 57.6% लड़कियां और महिलाएं (16 से 24 की उम्र के बीच में) माहवारी के दिनों में स्वच्छ तरीके जैसे सैनिटरी नैपकिन, टैम्पून या मेंस्ट्रुअल कप इस्तेमाल करती हैं.
लेकिन पिछले कुछ सालों में इन आकंड़ों में बदलाव हुआ है. देश में माहवारी के जागरूकता अभियानों का असर देखा जा सकता है. क्योंकि इस साल के सर्वे के मुताबिक अब देश में 77.3% लड़कियां और महिलाएं माहवारी के दौरान स्वच्छ और सुरक्षित तरीके अपना रही हैं.