एक देश एक चुनाव को लेकर मोदी सरकार ने आठ सदस्यीय समिति (कमेटी) का गठन किया है. इस उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सौंपी गई है. आइए जानते हैं समिति में किन चेहरों को शामिल किया गया है, समिति क्या करेगी और अधीर रंजन चौधरी ने इससे जुड़ने से क्यों इनकार किया?
कानून मंत्रालय ने एक देश एक चुनाव को लेकर एक अधिसूचना भी जारी की. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय हित में देश में एक साथ चुनाव कराना वांछनीय है. ऐसे में भारत सरकार एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन करती है.
समिति में ये लोग हैं शामिल
कानून मंत्रालय के मुताबिक, इस समिति का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद करेंगे. इसमें गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह सदस्य होंगे.
उच्च स्तरीय समिति में पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी सदस्य होंगे.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में समिति की बैठकों में हिस्सा लेंगे, जबकि कानूनी मामलों के सचिव नितेन चंद्रा समिति के सचिव होंगे. अधिसूचना में कहा गया है कि समिति तुरंत ही काम शुरू कर देगी और जल्द से जल्द सिफारिशें करेगी, लेकिन इसमें रिपोर्ट सौंपने के लिए किसी समयसीमा का उल्लेख नहीं किया गया है.
क्या करेगी समिति
समिति संविधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और किसी भी अन्य कानून और नियमों की पड़ताल करेगी और उन विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करेगी, जिसकी एक साथ चुनाव कराने के उद्देश्य से आवश्यकता होगी. समिति को चुनावों को एक साथ कराने की रूपरेखा का सुझाव देने और विशेष रूप से उन चरणों और समयसीमा का सुझाव देने का भी काम सौंपा गया है, जिनके भीतर एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं.
समिति यह भी पड़ताल करेगी और सिफारिश करेगी कि क्या संविधान में संशोधन के लिए राज्यों की ओर से अनुमोदन की आवश्यकता होगी. संविधान में कुछ संशोधनों के लिए कम से कम 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुमोदन की आवश्यकता होती है.
ये समाधान भी सुझाएगी समिति
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन से संबंधित विधेयक के संसद में पारित होने के बाद 50 प्रतिशत से अधिक राज्यों ने इसका अनुमोदन किया था. समिति एकसाथ चुनाव की स्थिति में खंडित जनादेश, अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार करने या दलबदल या ऐसी किसी अन्य घटना जैसे परिदृश्यों का विश्लेषण करेगी और संभावित समाधान भी सुझाएगी.
समिति को एक साथ चुनावों के चक्र की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों की सिफारिश करने और संविधान में आवश्यक संशोधनों की सिफारिश करने के लिए भी कहा गया है ताकि एक साथ चुनावों का चक्र बाधित न हो. साजोसामान का मुद्दा भी समिति के एजेंडे में है क्योंकि इस व्यापक कवायद के लिए अतिरिक्त संख्या में ईवीएम और पेपर-ट्रेल मशीन, मतदान और सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता होगी. यह समिति लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों में मतदाताओं की पहचान के लिए एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र के उपयोग के तौर-तरीकों की भी पड़ताल और सिफारिश करेगी.
अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर केंद्र की ओर से गठित 8 सदस्यीय समिति का हिस्सा बनने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में चौधरी ने कहा कि उन्हें पता चला है कि उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति का सदस्य नियुक्त किया गया है. कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा, मुझे उस समिति में काम करने से इनकार करने में कोई झिझक नहीं है, जिसके संदर्भ की शर्तें उसके निष्कर्षों की गारंटी देने के लिए तैयार की गई हैं.
मुझे डर है कि यह पूरी तरह से धोखा है. इसके अलावा, आम चुनाव से कुछ महीने पहले संवैधानिक रूप से संदिग्ध, अव्यवहार्य और तार्किक रूप से लागू नहीं करने योग्य विचार को राष्ट्र पर थोपने का अचानक प्रयास सरकार के गुप्त उद्देश्यों के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है. कांग्रेस नेता ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को समिति से बाहर किए जाने पर भी खेद जताया. संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, यह संसदीय लोकतंत्र की व्यवस्था का जानबूझकर किया गया अपमान है. इन परिस्थितियों में मेरे पास आपके निमंत्रण को अस्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.