दुनिया में कई लोग अपने सपनों को इसलिए पूरा नहीं कर पाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है या तो उनकी उम्र निकल चुकी है या फिर उनके लिए समय नहीं है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत से मिलवाने वाले हैं जिन्होंने उम्र के उस पड़ाव में बिजनेस की शुरुआत की जब जिंदगी की रफ्तार धीमी पड़ जाती है. ये हैं 80 साल की शीला बजाज जो अपने हाथों की उधेड़बुन से पीछे छूटे सपनों को बुन रही हैं.
80 साल की उम्र में शुरू किया बिजनेस
80 साल में अपना बिजनेस शुरू करने वाली शीला के सोशल मीडिया पर भी कई सारे फॉलोवर्स हैं. दरअसल, शीला बजाज अपने हाथों से ऊन के खिलौने, कपड़े और कई अनेक सामान बनाती हैं. यह सारे सामान बेहद खूबसूरत और रंगबिरंगे होते हैं. आपको बता दें कि दादी के साथ उनकी पोती युक्ति भी उनका साथ निभा रही हैं. दादी-पोती की यह जोड़ी सोशल मीडिया पर खूब तारीफें बटोर रहीं हैं. युक्ति बताती हैं कि दादी जो भी सामान बनाती है उसे वे इंस्टाग्राम पर पोस्ट करती हैं. सामान बनाने का और डिजाइनिंग का काम दादी करती हैं और बाकी सोशल मीडिया और ग्राहकों को संभालने का काम खुद युक्ति करती हैं.
कोरोना ने बढ़ाई परेशानियां
शीला बजाज बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही सिलाई बुनाई करने का शौक था लेकिन कभी मौका नहीं मिला. उनकी शादी 17 साल की उम्र में ही हो चुकी थी और उसके बाद उन्होंने एक्सपोर्ट ड्यूटी में एक नौकरी ज्वाइन कर ली. परिवार का विस्तार हुआ और जिम्मेदारियां बढ़ती गई इसीलिए वे अपने शौक को पीछे छोड़ चुकी थी. शीला बताती हैं कि पति और बेटे-बहू यानी युक्ति के माता पिता के जाने के बाद परिवार में खालीपन सा आ गया था. उसके बाद कोरोना काल ने परेशानियों को और बढ़ा दिया. लेकिन अवसाद में उन्होंने अवसर ढूंढा और अपने पीछे छूटे सपनों और शौक को पूरा करने के लिए धागों से अपनी दुनिया बुनना शुरू कर दिया.
पोती ने दिया साथ
वे कहती हैं कि शुरू शुरू में बहुत कम ऑर्डर्स आया करते थे लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया लोगों ने इसे काफी पसंद किया. वे इसका पूरा श्रेय युक्ति को देती हैं. उनका मानना है कि यदि उनकी पोती उनके साथ नहीं होती तो वह कुछ नहीं कर पाती. आज पोती का रिश्ता उनके साथ कुछ ऐसा है कि वह उनके लिए सब कुछ है. उनका सुख दुख, अच्छा बुरा सब उसी से है. एक हल्की मुस्कुराहट के साथ वह कहती है कि यह लोगों का प्यार ही था इसके कारण आज ने सोशल मीडिया पर इतना ज्यादा पसंद किया जा रहा है. वे कहती हैं कि जब लोग उनके बनाए हुए खिलौनों और सामानों की तारीफ करते हैं तब उन्हें बहुत खुशी होती है. वे कहती हैं कि उनकी जिंदगी का मूलमंत्र यही है कि चाहे कुछ भी हो जाए जिंदगी में कभी भी हार नहीं मानना चाहिए.
पेशे से इंजीनियर है युक्ति
युक्ति पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और आईटी कंपनी में जॉब करती हैं. वे बताती हैं कि कोरोना काल के दौरान उनकी दादी एक सकारात्मक स्टेट ऑफ माइंड में नहीं थी. वे बार-बार यही सोचा करती थी कि अब उनकी उम्र हो चुकी है और अब उनकी जाने का वक्त आ गया है. युक्ति कहती है कि, "यह सब सुनकर मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था और मुझे लगता था कि मैं ऐसा क्या करूं जिससे सब ठीक हो जाए." वे बताती हैं कि ऐसे में उन्हें एक ही उपाय सूझा कि वह किस तरह से अपनी दादी को एक ही काम में व्यस्त रख पाएं.
युक्ति कहती हैं," इससे बेहतर क्या हो सकता है कि दादी अपने खाली समय में वह काम करें जो उनका शौक भी हो और सपना भी और बस इसीलिए मैंने उनके सपने को पूरा करने में थोड़ी सी मदद की." युक्ति बताती है," मेरे मम्मी पापा के गुजर जाने के बाद मेरी दादी ही मेरी मां बाप और मेरा पूरा परिवार है. हंसती है तो मेरी जिंदगी मुस्कुराने लगती है. मैं उन्हें इसी तरह हंसते मुस्कुराते देखना चाहती हूं."
मिलते है कई ऑर्डर
इतना ही नहीं दादी पोती की ये जोड़ी अपने साथ शहर की अन्य दादी नानीयों को भी जोड़ने की कोशिश कर रही है. युक्ति बताती हैं, " हम अपने काम के जरिए कई ऐसी नानी और दादी को अपने साथ जोड़ रहे हैं जो अपने सपनों को पीछे छोड़ चुके हैं और अब कुछ करना चाहते हैं. साथ ही दादी नानियों को साथ में जोड़कर एक कम्युनिटी बनाना चाहते हैं जिससे काम और मदद दोनों की जा सके."आपको बता दें कि इनके बनाए गए सामानों को देश भर में पसंद किया जाता है और सबसे ज़्यादा ऑर्डर्स महाराष्ट्र से आ रहे हैं.