हाइलाइट्स
बीजेपी-शिवसेना के बीच बना विवाद का कारण
सत्ता में आते ही डिप्टी सीएम फडणवीस ने पलटा फैसला
महाराष्ट्र में चले सियासी ड्रामे के बाद आखिरकार 30 जून को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है. सरकार बनते ही फडणवीस ने उद्धव सरकार के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें आरे कॉलोनी (Aarey Colony)में बनने वाले मेट्रो कार शेड पर रोक लगाकर उसे कंजूरमार्ग में बनाने का फैसला लिया गया था. नई सरकार ने परियोजना को वापस आरे कॉलोनी ट्रांसफर कर दिया है.
क्या है मेट्रो शेड प्रोजेक्ट?
मुंबई मेट्रो 33.5 किलोमीटर लंबे कोलाबा-बांद्रा सीपज अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन के लिए MMRDA एक मेट्रो कार शेड बना रही है. ये प्रोजेक्ट शिवसेना और बीजेपी के बीच लंबे समय से विवाद का कारण बना हुआ था.
क्या है विवाद?
बता दें कि मेट्रो कार शेड परियोजना की वजह से पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया था जब मुंबई मेट्रो रेल निगम ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से 2019 में आरे कॉलोनी में पेड़ों को काटने की इजाजत मांगी थी.आरे कॉलोनी संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान का विस्तार है और तेंदुओं और अन्य जीवों के लिए एक निवास स्थान है. पर्यावरणविदों का कहना था कि कार शेड बनने से मुंबई में हरियाली के बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचेगा.
आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर मेट्रो शेड को लेकर क्या और कब कार्रवाई हुई...
- मुंबई की आरे कॉलोनी को 'शहर के फेफड़े' के रूप में जाना जाता है, जो 13,000 हेक्टेयर में फैला है. यह 27 से अधिक आदिवासी गांवों का घर है और विभिन्न जानवरों की प्रजातियों का निवास है.
- मुंबई नगर निकाय के वृक्ष प्राधिकरण द्वारा मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एमएमआरसी) को मेट्रो के लिए कार शेड बनाने के लिए आरे कॉलोनी से 2,700 से अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी जिसके बाद पूरा विवाद शुरू हुआ था.
- शहर के एक एनजीओ ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर घोषणा की कि आरे कॉलोनी के पूरे 1,280 हेक्टेयर क्षेत्र को 'आरक्षित वन' या 'संरक्षित वन' के रूप में जैसा भी मामला हो, 1927 के भारतीय वन अधिनियम के तहत हो सकता है.
- हालांकि, राज्य, नागरिक प्रशासन और मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MMRCL) ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट आरे के जंगल होने के मुद्दे पर फैसला नहीं कर सकता क्योंकि मामला पिछले अक्टूबर में एक अन्य पीठ द्वारा तय किया गया था और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अपील लंबित है. फिर भी निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए पेड़ों को काटने का विरोध किया और बस डिपो को स्थानांतरित करने की भी मांग की, जो Metro III परियोजना का एक हिस्सा है.
- 4 अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रस्तावित पेड़ों को काटने के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. अदालत द्वारा हरी झंडी दिखाने के कुछ घंटे बाद, रात में पेड़ों को काट दिया गया, जिससे आक्रोश फैल गया. इस वजह से चारों और व्यापक विरोध शुरू हो गया और जहां निषेधाज्ञा लागू की गई थी वहां पुलिस की कार्रवाई शुरू हो गई. कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और 29 को जमानत मिलने तक जेल में रहना पड़ा.
- कानून के छात्रों के एक समूह द्वारा तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को हस्तक्षेप करने के लिए एक पत्र लिखे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरे मामले का स्वत: संज्ञान लिया. शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से आरे कॉलोनी में पेड़ काटने पर रोक लगाने को कहा और 21 अक्टूबर को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया.
- नगर निगम मुंबई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दायर की गई याचिकाओं पर प्रतिक्रिया देने के लिए समय मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने आरे वन क्षेत्र में और क्या-क्या गतिविधियां प्रस्तावित हैं और भवन निर्माण की कोई परियोजना निर्माणाधीन है या स्वीकृत की गई है इसकी जानकारी मांगी.
- अदालत ने मुंबई मेट्रो के वकील से दो साल पहले लगाए गए पेड़ों और बचे हुए पेड़ों की संख्या, पेड़ों की परिधि और उनकी ऊंचाई की तस्वीरें मांगी.
- 15 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि वह इस मामले पर दिसंबर में लंबी सुनवाई करेगी. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आरे मेट्रो कार शेड परियोजना का काम बंद करने का आदेश दिया था.