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देश की पहली लड़ाकू पायलट बनीं अभिलाषा बराक, सेना की भर्ती के लिए ठुकराई अमेरिका की नौकरी

कैप्टन अभिलाषा बराक कॉम्बेट पायलट के तौर पर सेना में चुनी गई. कैप्टन अभिलाषा बराक वो पहली सफल महिला अधिकारी हैं. जो सेना के उड्डयन कमान में शामिल हुई हैं. ये उपलब्धि उन्हें कॉम्बैट आर्मी एविएशन पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद हासिल हुई है.

अभिलाषा बराक अभिलाषा बराक
हाइलाइट्स
  • कॉम्बेट-एविएटर के तौर चुनी गईं महिला ऑफिसर

  • राष्ट्रपति से मिल चुका है अभिलाषा को सम्मान

महिलाएं देश में हर जगह नाम रोशन कर रही हैं. हर क्षेत्र में महिलाओं का वर्चस्व कायम है. सेना के एविएशन कोर में पहली बार महिला पायलट चुनी गई है. कैप्टन अभिलाषा बराक लड़ाकू पायलट के तौर पर सेना में चुनी गई हैं जो अब रुद्र और एलसीएच जैसे अटैक हेलीकॉप्टर उड़ा सकेंगी.

कॉम्बेट-एविएटर के तौर चुनी गईं महिला ऑफिसर
इस मौके पर थल सेना का कहना है कि, एविएशन कोर के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा जाने वाला दिन है, क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई महिला ऑफिसर कॉम्बेट-एविएटर यानी लड़ाकू पायलट के तौर पर चुनी गई हैं. महाराष्ट्र के नासिक स्थित कॉम्बेट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल के दीक्षांत समारोह में बुधवार को एविएशन कोर के महानिदेशक जनरल अजय कुमार सुरी ने कैप्टन अभिलाषा बराक सहित कुल 36 आर्मी पायलट्स को 'विंग्स' प्रदान किए. विंग्स मिलने के बाद ये सभी पायलट्स सेना के रुद्र और लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर यानी एलसीएच उड़ाने के लिए तैयार हो गए हैं.

कौन है कैप्टन अभिलाषा बराक?
कैप्टन अभिलाषा बराक वो पहली सफल महिला अधिकारी हैं. जो सेना के एविएशन कोर में शामिल हुई हैं. ये उपलब्धि उन्हें कॉम्बैट आर्मी एविएशन पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद हासिल हुई है. कैप्टन बराक हरियाणा की रहने वाली हैं. कैप्टन अभिलाषा को  सितंबर 2018 में सेना के हवाई रक्षा कोर में कमीशन मिला था. उनके पिता कर्नल (अवकाश प्राप्त) एस ओम सिंह भी सेना में काफी मशहूर हैं. सेना ने कैप्टन अभिलाषा बराक की इस उपलब्धि को इंडियन आर्मी एविएशन के इतिहास में 'गोल्डेन लेटर डे' करार दिया है.

सेना में भर्ती होने के लिए ठुकराई थी अमेरिका की नौकरी
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कैप्टन बराक द लॉरेंस स्कूल सनावर की पूर्व छात्रा हैं. उन्होंने 2016 में दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. जिसके बाद उन्हें अमेरिका से नौकरी का ऑफर आया था. लेकिन अभिलाषा को सेना में भर्ती होना था. उन्होंने सेना में जाने का फैसला कर लिया था. फिर साल 2018 में उन्हें अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी चेन्नई से भारतीय सेना में चुना गया था.

राष्ट्रपति से मिल चुका है सम्मान
कैप्टन अभिलाषा के कोर ऑफ आर्मी एयर डिफेंस के साथ अपने लगाव चलते उन्हें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से सेना वायु रक्षा के लिए रंगों की प्रस्तुति के लिए एक कंटेंजेंट कमांडर के रूप में चुना गया था. अभिलाषा ने आर्मी एयर डिफेंस यंग ऑफिसर्स कोर्स में 'ए' ग्रेडिंग, एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट और एयर लॉज़ कोर्स में 75.70 प्रतिशत अंक हासिल किया, और पहले प्रयास में प्रमोशनल परीक्षा, पार्ट बी पास कर ली.

1986 में हुई थी एविएशन कोर की स्थापना
बता दें कि सेना के एविएशन कोर को 1986 में स्थापित किया गया था. एविएशन कोर के हेलीकॉप्टरर्स का काम सेना की आखिरी चौकी पर तैनात सैनिकों को खाना-राशन हथियार और दूसरा जरुरी सामान पहुंचाना है. ये ऐसा चौकियां होती हैं, जहां सड़क के रास्ते नहीं पहुंचा जा सकता है. खासतौर से सियाचिन ग्लेशियर, एलओसी, पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में सेना की कई ऐसी पोस्ट हैं जहां सड़क के रास्ते नहीं पहुंचा जा सकता है. ऐसी जगहों पर एविएशन कोर के हेलीकॉप्टर ही ओपरेट करते हैं. हाल ही में एविएशन कोर में स्वदेशी रुद्र और एलसीएच हेलीकॉप्टर भी शामिल किए गए हैं. ये दोनों अटैक हेलीकॉप्टर हैं जो दुश्मन की सीमा में घुसकर आक्रमण करने और आतंकियों के अड्डों को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. इस हेलीकॉप्टर्स को सेना के जंगी बेड़े में शामिल किया गया है.

'स्विफ्ट एंड श्योर' के मोटो पर काम करता है एविएशन
अब कैप्टन अभिलाषा सहित सभी 36 कॉम्बेट एविएटर्स रुद्र हेलीकॉप्टर और एलसीएच उड़ाएंगे. सेना की सबसे नई कोर एविएशन कोर 'स्विफ्ट एंड श्योर' के मोटो पर काम करता है. सेना के सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में एविएशन कोर की टेक्टिकल इम्पोर्टेंस बढ़ने जारी है और एक फोर्स-मल्टीप्लायर के तौर पर आर्मी की मदद करेगी.