दिल्ली के द्वारका इलाके में 12वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा के साथ जो हुआ. उस पर दुख से ज्यादा गुस्सा आना चाहिए...क्योंकि इस तरह के हमलों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाया गया कानून नाकाफी साबित हो रहा है. जी हां, एसिड अटैक को रोकने के लिए पहले से सख्त कानून मौजूद है. फिर भी इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस तरह की घटनाओं को रोकने पाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है.
ये हाल तब है, जब एसिड अटैक को लेकर अब अलग से कानूनी प्रावधान मौजूद है. पहले अलग से कोई कानूनी व्यवस्था नहीं थी. आईपीसी की धारा 326 के तहत ही तेजाब हमले से जुड़े मामलों में केस दर्ज होते थे. पुराने कानून के मुताबिक पहले एसिड अटैक के मामले में 10 साल या उम्र कैद की सजा का प्रावधान था. अब इस तरह के मामलों में IPC की धारा 326A और 326B के तहत मुकदमा दर्ज होता है.
क्या कहती है धारा 326A?
326A में प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति ने जानबूझकर किसी पर तेजाब फेंका और पीड़ित को स्थाई या आंशिक रूप में नुकसान पहुंचता है तो अपराध गैर जमानती होगा. तब दोषी को कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्र कैद की भी सजा हो सकती है. उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. फिर जुर्माने की रकम को पीड़िता के हवाले किया जाएगा.
आईपीसी की धारा 326 B का संबंध तेजाब हमले की कोशिश से है. ये भी संगीन अपराध है, जो गैर जमानती है. इसके लिए दोषी को कम से कम पाच साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
फिर भी इस तरह के हमलों में शामिल लोगों के हौसले बुलंद हैं. NCRB यानी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से भी ये बात साबित होती है. इसी साल संसद के मॉनसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने भी लोकसभा में 2018 से लेकर 2020 यानी इन 3 साल में हुए एसिड अटैक से जुड़े आंकड़े सामने रखे थे.
NCRB के आंकड़ों में सच
साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ तेजाब हमले के 131 मामले दर्ज किए गए. जिनमें सिर्फ 28 लोग ही दोषी करार दिए जा सके. साल 2019 में एसिड अटैक के 150 मामले सामने आए. लेकिन दोषी के तौर पर 16 लोगों का ही अपराध तय हो पाया. वहीं साल 2020 में तेजाब हमले 105 मामले दर्ज किए गए. उस साल भी सबूतों के आधार पर सिर्फ 18 लोगों को दोषी ठहराया गया. यानी देश में 2018 से 2020 के दौरान महिलाओं पर तेजाब हमले के कुल 386 मामले दर्ज किए गए. इस दौरान ऐसे मामलों में कुल 62 लोगों को ही अदालतों की तरफ से दोषी करार दिया गया. शायद यही वजह है कि तेजाब हमले की मंशा पाले बैठे लोगों के हौसले बुलंद हैं.