धूम्रपान का सेवन करने वालों के खिलाफ गुजरात सरकार सख्ती के मूड में है. धूम्रपान को लेकर स्कूली बच्चों पर विपरीत प्रभाव न पड़े इसको लेकर शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है. शिक्षा विभाग ने स्कूल में पान-मसाला और सिगरेट का सेवन करने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है. इस संबंध ने राज्य के तमाम जिला शिक्षाधिकारियों को सर्क्युलर जारी किया गया है. इसमें स्कूल में ध्रूमपान पर रोक लगाने को कहा गया है.
छात्रों पर पड़ा रहा गलत असर
शिक्षा विभाग ने अपने सर्क्युलर में कहा है कि स्कूलों के आसपास पान-मसाला और सिगरेट की बिक्री हो रही है. इतना ही नहीं कुछ शिक्षक खुलेआम बच्चों के सामने धूम्रपान का सेवन करते दिखाई देते हैं. स्कूलों में शिक्षक और आचार्य खुलेआम बच्चों के सामने पान-मसाला खाते हैं. बच्चों को जिस शिक्षा के मंदिर से जीवन का पाठ सीखना है, वो उसकी जगह पान-मसाला और सिगरेट के सेवन का पाठ सिख रहें है. छात्रों पर इसका गलत असर पड़ रहा है. शिक्षा जगत के लिए ये बात लांछनरूप है. इस पर कानून के मुताबिक रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं.
मिली थी शिकायत
गुजरात के स्कूलों में शिक्षकों के पान-मसाला का सेवन करने की शिकायत कुछ समय पहले मुख्यमंत्री को मिली थी. इसको लेकर पहले मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से आदेश हुआ था की शिक्षा के धाम में किसी भी प्रकार का व्यसन नहीं होना चाहिए. यदि कोई शिक्षक स्कूल में व्यसन करता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद शिक्षा विभाग ने सर्क्युलर जारी कर स्कूल में पान-मसाला और सिगरेट के सेवन पर रोक लगाने का आदेश दिया है.
रिकॉर्ड बुक में नोटिस दर्ज करने का आदेश
गुजरात राज्य स्कूल संचालक महामंडल के प्रेसिडेंट भास्कर पटेल ने कहा कि हमने तमाम स्कूल को पत्र लिखकर सरकार के सर्क्युलर का पालन करने को कहा है. स्कूल में कोई शिक्षक, आचार्य या फिर क्लर्क समेत कोई भी कर्मचारी पान-मसाला या सिगरेट का सेवन स्कूल में करे तो उसको आर्थिक दंड करने की या फिर उसके रिकॉर्ड बुक में नोटिस दर्ज करने का आदेश भी दिया है.
शिक्षकों को देखकर सीखते हैं बच्चे
बच्चे स्कूल के शिक्षकों को देखकर सीखते हैं. ऐसे में देश के भविष्य को सही मार्गदर्शन देना जरूरी है. भास्कर पटेल ने कहा कि इसके अलावा स्कूल के 100 मीटर के दायरे में पान-मसाला और सिगरेट की दुकानें न हों इसका ध्यान सरकार और पुलिस को भी रखना होगा. स्कूल संचालक ऐसी कोई भी दुकान को लेकर पुलिस को शिकायत करें. स्कूलों के आसपास निश्चित अंतर तक पान-मसाला की दुकान नहीं होनी चाहिए ये भी कानून बना हुआ है. समय समय पर इस बात को लेकर NGO और संस्थाएं विरोध भी करती रहती हैं लेकिन ऐसी दुकानों के खिलाफ जो स्कूल के नजदीक हैं, कोई कार्रवाई नहीं की जाती और तंत्र मौन धारण कर लेता है. अब देखना ये होगा शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में शिक्षकों के पान-मसाला के सेवन पर लगाई रोक का कितना असर होता है.
(अतुल तिवारी की रिपोर्ट)