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Aditya L1 Mission: सूरज के पास जा रहे आदित्य-L1 को लेकर ISRO ने दिया अपडेट, 16 सेकेंड के लिए रुका था यान, हुए थे ये बदलाव

इसरो ने कहा कि आदित्य-एल1 को 6 अक्टूबर को 16 सेकेंड के लिए रोक कर इसमें थोड़ा बदलाव किया गया था. अब वह लगातार सूर्य की ओर बढ़ रहा है. आदित्य एल-1 तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है.

Aditya L1 Mission Aditya L1 Mission
हाइलाइट्स
  • 2 सितंबर 2023 को आदित्य-एल1 को किया गया था लॉन्च

  • तारों के अध्ययन में करेगा मदद

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूरज के पास जा रहे आदित्य-एल1 को लेकर बड़ी जानकारी दी है. इसरो ने बताया कि अंतरिक्ष यान ठीक से काम कर रहा है. वह लगातार सूर्य की ओर बढ़ रहा है.

इसरो ने किया पोस्ट
इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि आदित्य-एल1 को 6 अक्टूबर को 16 सेकेंड के लिए रोककर इसमें एक सुधार किया गया. इस प्रक्रिया में प्रक्षेपवक्र सुधार संबित बदलाव किए गए, जिसे Trajectory Correction Maneuvre (TCM) कहा जाता है. इसरो ने अपने बयान में कहा है कि 19 सितंबर को किए गए ट्रांस-लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (TL1I) को ट्रैक करने के बाद मूल्यांकन किए गए पथ को सही करने के लिए इसकी आवश्यकता थी. टीसीएम यह सुनिश्चित करता है कि अंतरिक्ष यान एल1 के आसपास हेलो कक्षा सम्मिलन की ओर अपने इच्छित पथ पर है. जैसे-जैसे आदित्य-एल1 आगे बढ़ता रहेगा, कुछ ही दिनों में मैग्नेटोमीटर फिर से चालू हो जाएगा.

पिछले महीने हुई थी लॉन्चिंग
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने दो सितंबर 2023 को भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 की लॉन्चिंग की थी. इसरो ने पीएसएलवी सी57 लॉन्च व्हीकल से आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था. लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से हुई थी. यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा.

15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा आदित्य-एल1
सूर्य के अध्ययन पर निकला भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन आदित्य एल-1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर एल-1 बिंदु की परिक्रमा करेगा. यान ने अबतक पृथ्वी से 10 लाख किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर ली है. यान अब पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकल गया है. आदित्य एल-1 का यह क्रूज फेज जनवरी 2024 के पहले हफ़्ते तक यान के एल-1 कक्षा में पहुंचने पर पूरा होगा. इस बीच आदित्य- एल 1 में लगे आस्पेक्स पेलोड की एक यूनिट स्टेप्स को सफलतापूर्वक चालू कर लिया गया है. जिसने पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर और उसके बाहर अंतरिक्ष में स्थित ऊर्जावान कर्णों के बारे में जानकारियां जुटाई हैं.

तारों के अध्ययन में सबसे ज्यादा मदद करेगा
इसरो के मुताबिक, सूर्य हमारे सबसे करीब मौजूद तारा है. आदित्य एल-1 तारों के अध्ययन में हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है. इससे मिली जानकारियां दूसरे तारों, हमारी आकाश गंगा और खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मदद करेंगी. हमारी पृथ्वी से सूर्य करीब 15 करोड़ किमी दूर है. आदित्य एल1 वैसे तो इस दूरी का महज एक प्रतिशत ही तय कर रहा है, लेकिन इतनी सी दूरी तय करके भी यह सूर्य के बारे में हमें ऐसी कई जानकारियां देगा, जो पृथ्वी से पता करना संभव नहीं होता.

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