लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी नए आर्मी चीफ बनाए गए हैं. उन्होंने 30 जून से यह जिम्मेदारी संभाली है. इससे पहले मनोज पांडे 26 महीने की सेवा के बाद आज यानी 30 जून को आर्मी चीफ के पद से रिटायर हुए. उपेन्द्र द्विवेदी के नए आर्मी चीफ बनने के बाद ऐसा पहली बार है जब दो सहपाठी एकसाथ भारतीय सेना प्रमुख के पद पर पहुंचे हैं. जी हां, भारतीय सैन्य इतिहास में पहली बार दो साथी नौसेना और थलसेना की कमान एक साथ कमान संभालने वाले हैं. जहां, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने थलसेना के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला है, वहीं एडमिरल दिनेश त्रिपाठी नौसेना के प्रमुख हैं.
एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी का साथ काफी पुराना है. 1970 के दशक में शुरुआती स्कूल के दिनों में दोनों सहपाठी रह चुके हैं. ये दोनों कक्षा 5वीं में साथ पढ़ते थे.
क्लास से कमान तक
एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी सिर्फ सहपाठी नहीं थे; उनके रोल नंबर भी आगे-पीछे थे. क्लास 5A में जहां एडमिरल दिनेश त्रिपाठी का रोल नंबर 938 था तो वहीं लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी का रोल नंबर 931 था. ये दोनों सैनिक स्कूल रीवा में क्लासमेट थे.
बता दें, सैनिक स्कूल कई सालों से भारतीय सेना में करियर के लिए युवा लड़कों को तैयार कर रहा है. हालांकि, एडमिरल त्रिपाठी और लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी का एक साथ अपने-अपने सेवा प्रमुखों के पद पर पहुंचना अपने आप में पहली घटना है.
सैनिक स्कूल रीवा से शुरू हुआ सफर
सैनिक स्कूल रीवा से ही उनके शानदार करियर की शुरुआत हो गई थी. वहां उन्होंने पहली बार कैडेट की वर्दी पहनी थी. हालांकि, दोनों का सैन्य रास्ता अलग-अलग रहा. एक ने समुद्र और दूसरे ने जमीन को चुना, लेकिन दोस्ती अटूट रही.
दोनों ने संभाली कमान
एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने 1 मई, 2024 को भारतीय नौसेना की कमान संभाली थी. 3 जून, 1964 को जन्मे एडमिरल त्रिपाठी अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद नौसेना में शामिल हुए और उन्होंने अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं. वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, का जन्म 1 जुलाई 1964 को हुआ. वे 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सेना की जम्मू-कश्मीर राइफल्स में नियुक्त हुए, उन्होंने 1 जुलाई को भारतीय सेना के प्रमुख के रूप में अपनी नई भूमिका ली. 2024. उत्तरी सेना कमांडर के रूप में उनका कार्यकाल काफी अच्छा रहा है.
सैनिक स्कूल रीवा की विरासत
गौरतलब है कि सैनिक स्कूल रीवा शुरुआत से ही ऐसी क्षमता वाले लीडर्स को तैयार करता रहा है. इन सभी को उनके अनुशासन, सम्मान और सेवा के मूल्यों के लिए जाना जाता है. यह स्कूल, भारत भर में सैनिक स्कूलों के नेटवर्क का हिस्सा है. इन स्कूलों में आर्मी के लिए युवाओं को तैयार किया जाता है.