नागालैंड के मॉन जिले में 13 नागरिकों की हत्या के बाद AFSPA (Armed Forces Special Powers Act) को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है. नागालैंड कैबिनेट ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर AFSPA को राज्य से खत्म किए जाने की सिफारिश की गई है. केवल नगालैंड ही नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर के राज्य लंबे समय से इन एक्ट को खत्म किए जाने की मांग करते रहे हैं.
फायरिंग की ताजा घटना के बाद नागालैंड के सीएम नेफियू रियो और मेघालय के मुख्यमंत्री कोरनाड संगमा ने AFSPA को खत्म किए जाने की मांग की है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर यह एक्ट है क्या? नागालैंड की हालिया घटना के बाद इस एक्ट का भविष्य क्या होगा? नागालैंड के नेताओं का मानना है कि हाल की घटना से केंद्र के प्रति अविश्वास का माहौल बना है और इससे केंद्र और नागा समूहों के बीच जारी शांति बहाली प्रक्रिया को धक्का लग सकता है.
क्या है AFSPA?
AFSPA पूर्वोत्तर में सेना को कार्रवाई में मदद के लिए 11 सितंबर 1958 को पारित हुआ था. वहीं, जब 1989 के आसपास जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो 1990 में इस कानून को वहां भी लगा दिया गया था. AFSPA (सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून) कानून को केंद्र सरकार लागू करती है, ये तभी होता है जब राज्य सरकार और पुलिस कानून व्यवस्था संभालने में नाकामयाब होती है.
इन राज्यों में लागू है AFSPA-
सालों से आतंकवाद से जूझ रहे राज्य जम्मू-कश्मीर और पंजाब में AFSPA लगाया गया है. पंजाब पहला ऐसा राज्य था जिसने इसे निरस्त किया था. इसके बाद त्रिपुरा और मेघालय में AFSPA कानून को रद्द कर दिया गया. अभी ये कानून मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, असम, जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है.
AFSPA सशस्त्र बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है जो धारा 3 के तहत 'अशांत' घोषित होने वाले केंद्र शासित प्रदेशों या राज्यों के राज्यपाल द्वारा, राज्य या राज्य उसके कुछ हिस्सों पर लगाए जा सकते हैं. AFSPA का इस्तेमाल उन इलाकों में किया जाता रहा है, जहां आतंकवाद फैला हुआ है. ये अधिनियम सशस्त्र बलों को व्यापक अधिकार देता है. यह कानून हथियार और गोला-बारूद ले जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ 'गोलीबारी' करने की अनुमति देता है. यहां तक कि ये कानून उस व्यक्ति को जान से मारने की भी इजाजत देता है.