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आजादी के 75 साल बाद इस गांव को मिला पानी, सेना की मदद से ऐसे हुई व्यवस्था

कुपवाड़ा के सिंगरुनपति गांव में आज तक पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा है, ऐसे में भारतीय सेना मदद के लिए उतरी. कुपवाड़ा सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल डीवीएस पठानिया ने इस काम के लिए बुनियादी विकास परियोजना को शुरू किया. 

आजादी के 75 साल बाद मिला पानी आजादी के 75 साल बाद मिला पानी
हाइलाइट्स
  • कुपवाड़ा के सिंगरुनपति गांव में आज तक पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा.

  • आजादी के 75 साल बाद अब जाकर मिला पानी.

पानी जहां इंसान की सबसे बेसिक जरूरतों में से एक है, वहीं कुपवाड़ा (Kupwara) के एक गांव के निवासियों को आजादी के 75 साल बाद अब जाकर पानी मिला है. जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा के एक सुदूर गांव के निवासियों को भारतीय सेना द्वारा निर्मित जल आपूर्ति परियोजना के माध्यम से पीने का पानी मिलना शुरू हो गया है. कुपवाड़ा स्थानीय सेना इकाई ने 20 दिसंबर 2021 को सिंगरुनपति वारसुन, कुपवाड़ा में नवनिर्मित जल आपूर्ति परियोजना का उद्घाटन किया. 

सिंगरुनपति वारसन, कुपवाड़ा में सेना ने परियोजना के जरिए जल स्रोत से 1500 मीटर लंबी जल आपूर्ति लाइन की व्यवस्था की गई थी.  इस परियोजना से सुदूरवर्ती गांव सिंगरुनपति में रहने वाले लगभग 60 वंचित परिवारों को फायदा होगा. इस सुदूर गांव में आज तक पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा है, ऐसे में भारतीय सेना मदद के लिए उतरी. कुपवाड़ा सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल डीवीएस पठानिया ने सद्भावना के दायरे में इस सुदूर गांव के निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और पानी की आपूर्ति की दीर्घकालिक व्यवस्था को सुनिश्चित करने के मकसद से इस बुनियादी विकास परियोजना को शुरू किया. 

आजादी के 75 साल बाद मिला पानी
आजादी के 75 साल बाद मिला पानी

गांव में अभी भी बिजली की आपूर्ति नहीं
 
कार्लपोरा के डीडीसी सदस्य एडवोकेट मसरत ने जलापूर्ति योजना के उद्घाटन के दौरान गांव के निवासियों की इस बुनियादी जरूरत को पूरा करने के लिए सेना को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार की जिम्मेदारी क्षेत्र में सेना द्वारा पूरी की जा रही है.  जिला विकास निधि योजना के तहत रखे जाने के बावजूद प्रशासन ने गांव के लिए जलापूर्ति योजना नहीं चलाई है."इस मांग को पूरा करने के बाद ग्रामीण सेना से बिजली की मांग कर रहे हैं क्योंकि गांव में अभी भी बिजली की आपूर्ति नहीं है. 

(अशरफ वानी की रिपोर्ट)