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Dark Horse CM: पटेल, खट्टर, धामी, शिंदे के बाद मोहन यादव... BJP ने इन डार्क हॉर्स लीडर्स को बनाया सूबे का मुखिया

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है. मोहन यादव का नाम मुख्यमंत्री की रेस में दूर-दूर तक नहीं था. लेकिन बीजेपी ने उनको सीएम पद के लिए चुना. इससे पहले भी सीएम पद को लेकर बीजेपी कई बार हैरान करने वाले फैसले ले चुकी है. इस लिस्ट में मोहन सिंह के अलावा मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र पटेल, पुष्कर सिंह धामी और एकनाथ शिंदे का नाम शामिल है.

Mohan Yadav, Bhupendra Patel and Manohar Lal Khattar Mohan Yadav, Bhupendra Patel and Manohar Lal Khattar

पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा राजस्थान के नए मुख्यमंत्री होंगे. इससे पहले बीजेपी ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया है. चाहे भजन लाल हों या मोहन यादव... इन नेताओं को खुद भी इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद नहीं थी. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भोपाल में विधायक दल की बैठक से पहले फोटो सेशन में मोहन यादव तीसरी लाइन में बैठे थे. जबकि पहली लाइन में सीएम शिवराज सिंह चौहान, पूर्व केंद्रीय मंत्री और नेशनल पार्टी जनरल सेक्रेटरी बैठे थे. इनमें से कई नामों को चुनाव के दौरान सीएम कैंडिडेट तक बताया जा रहा था.लेकिन आखिर में 58 साल के ओबीसी फेस मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया गया.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब बीजेपी ने आम कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री का पद दिया है. इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है. खासकर पीएम मोदी ऐसा कई बार कर चुके हैं. इस लिस्ट हरियाणा से लेकर महाराष्ट्र तक शामिल है. चलिए आपको उन लीडर्स के बारे में बताते हैं, जिनको बीजेपी ने अचानक मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी.

मनोहर लाल खट्टर-
मनोहर लाल खट्टर 26 अक्टूबर 2014 से लगातार हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं. जब उनको सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया था तो उनके नाम की चर्चा दूर-दूर तक नहीं थी. खट्टर पहली बार चुनाव लड़े थे और मुख्यमंत्री बना दिए गए थे. उससे पहले उन्होंने आरएसएस के प्रचारक के तौर पर डेढ़ दशक तक काम किया था. मनोहर लाल खट्टर पढ़ाई के दौरान दुकान भी चलाते थे.

उस समय सीएम की रेस में कई बड़े नाम शामिल थे. जिसमें कैप्टन अभिमन्यु, रामबिलास शर्मा, कृष्ण पाल और अनिज विज का नाम सीएम के लिए सुर्खियों में था. लेकिन इन सभी को दरकिनार करते हुए मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया था.

पुष्कर सिंह धामी-
साल 2021 में जब उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदला गया तो पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंपी गई. हालांकि उस समय उनका नाम भी सीएम की रेस में नहीं था. दूर-दूर तक उनके नाम की चर्चा नहीं थी. इससे पहले धामी एबीवीपी में कई अहम पदों पर रहे थे. वो बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. धामी भगत सिंह कोश्यारी के स्पेशल ड्यूटी पर एक एडवाइजर और ऑफिसर के तौर पर काम किया था.

भूपेंद्र पटेल-
साल 2021 में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद सूबे में नए सीएम की तलाश शुरू हुई थी. सीएम पद के लिए कई बड़े नामों का जिक्र होने लगा. लेकिन जब नाम का ऐलान हुआ तो हर कोई हैरान रह गया. एक अनजान से विधायके भूपेंद्र भाई पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. भूपेंद्र पटेल तक को नहीं पता था कि उनको सीएम बनाया जा रहा है. विधायकों की जिस बैठक में उनको मुख्यमंत्री चुना गया था, उस दौरान वो 5वीं कतार में बैठे थे. अचानक उनके नाम का ऐलान हुआ और उनको आगे बुलाया गया. सीएम बनने से पहले उनको कभी कोई बड़ा पद नहीं मिला था और ना ही कभी मंत्री रहे थे.

एकनाथ शिंदे-
साल 2022 में शिवसेना में बगावत हो गई और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई. शिवसेना के बागी विधायकों ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया. सीएम को लेकर भी हर कोई कन्फर्म था.देवेंद्र फडणवीस का सीएम बनना तय माना जा रहा था. लेकिन जब सीएम के नाम का ऐलान हुआ तो हर कोई हैरान रह गया. बीजेपी ने शिव सेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया. बीजेपी के इस फैसले से खुद देवेंद्र फडणवीस भी हैरान रह गए थे. उन्होंने कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया था. लेकिन बाद में वो मान गए.

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