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साउथ इंडिया के बाद अब पंजाब में भी होगी मूल पौष्टिक अनाजों की खेती, क्षेत्र में लॉन्च हुआ मिशन नींव 

साउथ इंडिया के बाद अब पंजाब में भी मूल पौष्टिक अनाज (मिलटस) को बढ़ावा दिया जा रहा है. मूल पौष्टिक अनाजों (मिलटस) में खेतों में पानी भी बहुत कम लगता है.

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हाइलाइट्स
  • 2023 को मनाया जाएगा मिलटस ईयर के तौर पर 

  •  लोगों की रूचि बढ़ाने की कर रहे हैं कोशिश 

मूल पौष्टिक अनाजों (मिलटस) की खेती को बढ़ावा देने, अनाजों को खेत से रसोई तक ले जाने, रोज़मर्रा की ख़ुराक का हिस्सा बनाने और मिलटस के उत्पादन के बाद इनकी मार्किटिंग के फरीदकोट में मिशन नींव की शुरुआत की गई है. ये मिशन फरीदकोट जिला प्रशासन और खेती विरासत मिशन ने मिलकर शुरू  किया है. अब मूल पौष्टिक अनाजों (मिलटस) से तैयार खाना गुरु गोबिंद सिंह मेडीकल कोलिज हस्पताल में मेडिकल की पढ़ाई पढ़ रहे जूनियर डॉक्टर और स्टूडेंट की डाइट का हिस्सा बनेगा.

इसके अलावा, सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के खाने में भी मूल पौष्टिक अनाज (मिलटस) दिया जाएगा. इस काम के लिए कुदरती खेती करने वाले किसानों, सेल्फ हेल्प ग्रुप, कृषि विभाग समेत अलग अलग विभागों और स्व सेवी संस्थायों का भी सहयोग लिया जायेगा. 

बता दें, मूल पौष्टिक खेती जैसे ज्वार बाजरा, रागी, कुट्टकी, बाजरा, ज्वार, सवांक आदि में रुचि पैदा करने के लिए इस मिशन की शुरुआत की गई है.

2023 को मनाया जाएगा मिलटस ईयर के तौर पर 

डिप्टी कमिशनर डा.रूही दुग्ग ने बाबा फ़रीद यूनिवर्सिटी के सैनेट हाल में इस मिशन की शुरुआत की है. इस दौरान डिप्टी कमिशनर ने कहा, “साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलटस ईयर के तौर पर मनाया जा रहा है. और ज़िला प्रशासन और खेती विरासत मिशन की तरफ से फरीदकोट जिला को मूल पौष्टिक अनाजों की खेती के तौर पर प्रफुल्लित करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जायेगी.” 

उन्होंने आगे कहा कि साउथ इंडिया के बाद अब पंजाब में भी मूल पौष्टिक अनाज (मिलटस) को बढ़ावा दिया जा रहा है. मूल पौष्टिक अनाजों (मिलटस) में खेतों में पानी भी बहुत कम लगता है.

 लोगों की रूचि बढ़ाने की कर रहे हैं कोशिश 

खेती विरासत मिशन के संस्थापक उमेदर दत्त ने इस मिशन की शुरुआत करने के लिए डिप्टी कमिशनर डा.रूही दुग्ग और समूह विभागों का धन्यवाद करते कहा कि खेती विरासत मिशन जहां मूल अनाजों की खेती करने के लिए काम कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर मूल अनाजों जैसे कि ज्वार बाजरा, रागी, कुट्टकी, बाजरा, ज्वार, सवांक आदि के खाने प्रति लोगों में रुचि पैदा करने के लिए इससे अलग-अलग तरह के पकवान तैयार करने की ट्रेनिंग भी दे रहा है.  ये ट्रेनिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से दी जा रही है. 

मिशन लॉन्च के दौरान गांव के ही एक किसान राजबीर सिंह बताते हैं कि शुरू-शुरू में इस तरह की खेती करने में दिक्क्त जरूर आई मगर बाद में हमारे यहां एक यूनिट लग गया, जिससे हमें बहुत फायदा हुआ. इसमें पानी की लागत भी बहुत कम आती है. 

(प्रेम पासी की रिपोर्ट)