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Agar Malwa Matka: गर्मी में आगर मालवा के मटकों की भारी मांग, जानें ये फ्रिज से बेहतर क्यों?

मध्य प्रदेश के आगर मालवा में बनने वाले खास मटकों की गर्मी आते ही मांग बढ़ जाती है. इन मटकों को देसी फ्रिज भी कहा जाता है. ये मटके न केवल भीषण गर्मी में पानी को प्राकृतिक रूप से शीतल रखते हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं,इसलिए लोग फ्रिज की जगह इस मटके का पानी पीना पसंद करते हैं.

Agar Malwa Matka Agar Malwa Matka

गर्मी के मौसम में शीतल जल भला कौन नहीं चाहता? ऊपर से यदि पानी मटके का हो तो क्या कहना. तभी तो गर्मी आते ही मटकों की मांग भी बढ़ जाती है. वैसे तो हर जगह के मटकों की अपनी खासियत होती है, लेकिन मध्य प्रदेश के आगर मालवा में बनने वाले मटकों की बात ही निराली है. इसे खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. 

इस मटके का पानी रहता है बेहद शीतल 
तेजी से घूमते चाक के पहियों पर जब कुम्हार अपने हाथों से कलाकारी करता है, तब सामान्य से दिखने वाली मिट्टी बर्तन का रूप ले लेती है और ये महज हाथों की कलाकारी नहीं है बल्कि हिंदुस्तान की सदियों पुरानी वो परंपरा है जिसे कुम्हार आज भी जीवित रखे हुए हैं. हर साल गर्मी शुरू होने के साथ ही मिट्टी के बर्तनों और मटकों की डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे में इन्हें बनाने का काम भी तेज हो जाता है. मध्य प्रदेश के आगर मालवा में भी कुम्हारों का काम अब जोर पकड़ने लगा है. 

मध्य प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र में इस समय आगर मालवा के मटकों की भारी धूम देखी जा रही है. दरअसल, ये मटके यहां देसी फ्रिज के नाम से भी जाने जाते हैं. ये मटके इस क्षेत्र में इसलिए भी मशहूर हैं क्योंकि पूरी गर्मी में इसका पानी बेहद शीतल रहता है और लोगों के स्वास्थ्य के लिए ठीक भी रहता है. यहां के जो निवासी हैं, वे लोग फ्रिज को अवॉइड करते हुए इन देसी मटकों का पानी पीना ज्यादा उचित समझते हैं. वैसे तो देश के लगभग सभी इलाकों में गर्मियों के मौसम में मटके और सुराही बनाए जाते हैं, लेकिन आगर मालवा के मटकों की बात ही निराली है, जो तपती धूप और गर्मी में भी गले को शीतलता प्रदान करते हैं.

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इस मटके की रहती है भारी मांग
आगर क्षेत्र के मटके मार्केट में आते हैं और यहां के मटके का पानी बहुत ठंडा रहता है. यहां के मटके दूर-दूर तक जाते हैं जैसे उज्जैन, इंदौर और आसपास के क्षेत्र जैसे राजस्थान बॉर्डर तक. लोग भारी भरकम मटके हमारे गांव से ले जाते हैं. यहां का पानी लंबे समय तक गर्मी में ठंडा रहता है. मतलब एक बार मटका ले जाओगे तो साल भर बदलने की कोई जरूरत नहीं रहती है. यहां के मटके इतने मशहूर हैं कि बाहर के लोग भी इन्हें खरीदने आते हैं. शायद यही वजह है कि आगर मालवा के मटकों को खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. इसकी डिमांड पश्चिमी मध्य प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान में भी खूब होती है.

ऐसे तैयार किया जाता है मटका
आगर मालवा के मटके सुप्रसिद्ध हैं. ये मटके कितनी भी गर्मी हो, बिलकुल फ्रिज के जैसा पानी देते हैं. ये कुदरती है और यहां की मिट्टी की विशेषता है. ये मटके राजस्थान तक जाते हैं और इनकी गुणवत्ता भी बहुत है. इन मटकों को तैयार करने में काफी समय भी लगता है. अमूमन एक कुम्हार तीन दिनों में 10 मटके तैयार कर लेता है. जंगल में जाते हैं, वहां से मिट्टी खोद के लाते हैं. मिट्टी के कंकड़ पत्थर सब बीन के उसके बाद में उसको गलाते हैं. गला के उसकी मेहनत करके उसको घी जैसी बनाते हैं. 

उसके बाद में चाक पर मटके बनाते हैं. फिर पिट-पिट के तीन दिन के अंदर 10 मटका तैयार होता है. उसके बाद में उसे सुखाने के लिए अंदर ही सुखाना पड़ता है. बाहर नहीं सूखा सकते. अगर बाहर सूखाया तो फट जाता है, टूट जाता है. फिर सूखने के बाद में उसके ऊपर रंग चढ़ाते हैं. रंग चढ़ाने के बाद में फिर जंगल से लकड़ी कंडा लाकर उसे पकाते हैं. फ्रिज की तुलना में मटके का पानी काफी बेहतर माना जाता है. गर्मियों में मटके का पानी पीने के कई फायदे भी होते हैं. मटके का पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है, जो शरीर को ठंडक और जरूरी मिनेरल्स भी देता है. ऐसे में गर्मियों के दिनों में मिट्टी से बने मटकों की बिक्री भी काफी बढ़ जाती है.