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एजेंडा आजतक: 'अगर भविष्य में युद्ध हुआ तो तीनों सेनाएं मिलकर जीतेगी जंग'- 1971 की जीत के 50 साल पर बोले थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे

थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि 1971 का युद्ध सिर्फ थल सेना की ही नहीं बल्कि देश की तीनों सेनाओं की जीत थी. साथ ही उन्होंने कहा कि आगे जाकर भी अगर कभी भविष्य में युद्ध होता है तो तीनों सेनाएं मिलकर कामयाबी हासिल करेंगी.

थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे
हाइलाइट्स
  • 1971 का युद्ध सिर्फ थल सेना की ही नहीं बल्कि देश की तीनों सेनाओं की जीत थी.

  • इस युद्ध के बाद एक नया देश बांग्लादेश बना.

न्यूज चैनल आजतक के मेगा कॉन्क्लेव 'एजेंडा आजतक' के मंच पर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की यादें ताजा की. 1971 में मिली सबसे बड़ी जीत के 50 साल पर बात करते हुए थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि 1971 में हुआ युद्ध सिर्फ एक युद्ध नहीं था, बल्कि इस युद्ध के बाद एक नया देश बना. जिसके साथ आज हमारे हर लेवल पर अच्छे संबंध हैं. और मुझे यह उम्मीद भी है कि हम धीरे धीरे बेहतर की तरफ बढ़ेंगे. थलसेना अध्यक्ष ने कहा कि जब भी हम सेना के इतिहास और लड़ाइयों को पढ़ते हैं तो हर नेतृत्व हमें गौरवान्वित करते हैं.

जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि मैं 1971 के अपने युद्ध के अनुभव तो हैं नहीं क्यूंकि उस वक्त मैं सिर्फ 11 साल का था. पर उन्होंने कहा कि उस वक्त मेरे पिताजी दिल्ली में तैनात थे इसलिए हमें भी युद्ध की तैयारियां करने को कहा गया था. उस वक्त मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि में सेना में आऊंगा. पर मैंने डाइजेस्ट ऑफ सर्विस से 1971 के युद्ध के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है. उन्होंने कहा कि मार्च के आखिर से ही सबको पता था कि युद्ध जल्द ही छिड़ने वाला है. उसे पढ़कर ही मुझे लगा कि हम उस लड़ाई का हिस्सा थे. 

तीनों सेनाओं की जीत था 1971 का युद्ध

थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि 1971 का युद्ध सिर्फ थल सेना की ही नहीं बल्कि देश की तीनों सेनाओं की जीत थी. साथ ही उन्होंने कहा कि आगे जाकर भी अगर कभी भविष्य में युद्ध होता है तो तीनों सेनाएं मिलकर कामयाबी हासिल करेंगी. उन्होंने कहा कि 1971 से अब तक युद्ध की तकनीक में काफी बदलाव आए हैं. अब ये टेस्ट मैच नहीं बल्कि टी-20 जैसा होगा. हमें हर वक्त तैयार रहना होगा कि जल्द से जल्द मैदान में उतरें और जीत हासिल करें. 

थल सेनाध्यक्ष ने देशवासियों से सहयोग की उम्मीद की 

थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि इसके लिए हमें अपनी तकनीक में बदलाव लाना पड़ेगा. टेक्नोलॉजी बदल गयी है और हमें उसका फौज में इस्तेमाल कर आगे बढ़ना होगा. अब हम मैन पावर ऑरिएंटेड से टेक्नोलॉजी इंटेनसिव फोर्स बन रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर इतने सालों में कुछ नहीं बदला है वो है देशवासियों का जज्बा. लोग तब भी सैनिकों की हाल्ट के समय खातिरदारी करते और मदद करते थे. देश वासियों के सेना के प्रति प्रेम और आदर से ही हम आगे बढ़ते हैं. जनरल एम एम नरवणे ने भविष्य में भी देशवासियों के सहयोग की उम्मीद की. 

जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि 1971 के युद्ध के बाद एक नया देश बना जिससे हमारे हर लेवल पर अच्छे संबंध हैं. उन्होंने कहा कि तीन M का ध्यान रखकर कोई भी देश साथ-साथ तरक्की कर सकते हैं. ये तीन M  हैं-म्यूचुअल ट्रस्ट, म्यूचुअल रिस्पेक्ट और म्यूचुअल अंडरस्टैन्डिंग का पालन करने से दो देश एक साथ तरक्की कर सकते हैं.