जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला 'एजेंडा आजतक' कार्यक्रम के महामंच पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर की सियासत से लेकर देश की सियासत को लेकर सवालों के जवाब दिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा. कश्मीरी पंडितों की वापसी पर उन्होंने कहा कि उनको वापस आना चाहिए. लेकिन उनको वापस आने के लिए मजबूत नहीं किया जाना चाहिए.
'... तब नीतीश कुमार हमारे साथ होते'-
जब उमर अब्दुल्ला से पूछा गया कि अगर इंडिया गठबंधन को एनडीए को चैलेंज देना है तो जो बागडोर है, वो ममता बनर्जी या किसी और नेता के हाथ में होना चाहिए? इसपर उन्होंने कहा कि ये फैसला मिल बैठकर करना होगा और मीडिया के जरिए हम ये कर नहीं सकते. इंडिया ब्लॉक की मीटिंग होनी चाहिए. फिर तय करें कि लीडर कौन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने इससे पहले भी कोशिश की थी, कन्वीनर के तौर पर नीतीश कुमार को जिम्मेदारी देने की. लेकिन उस कुछ हमारे सहयोगी इसपर सहमत नहीं हुए. उसके बाद नीतीश कुमार एनडीए के साथ चले गए. शायद उस वक्त अगर हम नीतीश कुमार को कन्वीनर बनाए होते तो वो आज भी इंडिया ब्लॉक के मेंबर होते.
धारा 370 पर क्यों बोले अब्दुल्ला-
जब उमर अब्दुल्ला से पूछा गया कि जब सेशन की शुरुआत हुई तो धारा 370 का जिक्र वैसे नहीं हुआ? इसपर उन्होंने कहा कि हम एक लब्ज़ का इस्तेमाल करने या ना करने से खुद को बांधना नहीं चाहते थे. हम जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा वापस चााहते हैं. हम संवैधानिक गारंटी बहाल करना चाहते हैं.
जब उनसे पूछा गया कि क्या धारा 370 को लेकर नाउम्मीदी थी कि कुछ हो ही नहीं सकता या आपकी सोच प्रैक्टिस है? इसपर उन्होंने कहा कि मैं मैं नहीं मानता कि कुछ हो नहीं सकता. आगे जाके हो सकता है. होना भी चाहिए.
पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए?
पाकिस्तान से बात करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करने के लिए माहौल बनाना जरूरी है. उसकी जिम्मेदारी सिर्फ हमारे मुल्क की नहीं है. उसमें ज्यादा जिम्मेदारी पड़ोसी मुल्क की बनती है. हमारी जो शिकायत है, हमारे कंसर्न हैं, उनको जेहन में रखकर पाकिस्तान को कुछ कदम उठाने होंगे.
उन्होंने कहा कि हमने हमेशा कहा है कि इस माहौल को बनाने में पाकिस्तान को अपना रोल अदा करना होगा. लेकिन हम इकलौते वो लोग नहीं है, जो बातचीत की बात करते हैं. बीजेपी के लीडर वाजपेयी ने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते हैं. अब्दुल्ला ने कहा कि जो हिस्सा पाकिस्तान के पास है. उसको वापस लेने के लिए क्या हो रहा है? संसद सरकार से कहती है कि पाकिस्तान के पास जो हिस्सा है, उसे वापस लाइए. अगर वापस लाना हमारा इरादा है तो कैसे लाएंगे? जंग से तो हम ला नहीं सकते.
कश्मीरी पंडितों की वापसी कैसे होगी?
इस सवाल पर सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनको वापस आना चाहिए. लेकिन उनको वापस आने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. कश्मीरी पंडित जम्मू में बसे, बाकी जगहों पर बसे, क्योंकि उनकी सेंस ऑफ सिक्योरिटी उनसे छीना गया. जब तक उन्हें सेंस ऑफ सिक्योरिटी वापस नहीं लौटाते हैं, तब तक वो कश्मीर में बसने के लिए तैयार नहीं होंगे.
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