यूपी-बिहार के कई जिलों में अग्निपथ योजना को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. बिहार से निकली ये चिंगारी यूपी, हरियाणा, हिमाचल समेत 7 राज्यों तक पहुंच गई है. छात्र सड़कों पर उतर आए हैं, स्टेशन पर खड़ी ट्रेनें आग के हवाले कर दी जा रही है. आंदोलनकारियों ने इस योजना को तुरंत वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि वो सालों तक खूब मेहनत कर सेना भर्ती होने की तैयारी करते हैं. ऐसे में चार साल की नौकरी उन्हें मंजूर नहीं है. विरोध के बाद सरकार ने इस साल के लिए अधिकतम उम्र की सीमा को 21 साल से बढ़ाकर 23 साल कर दी है. अग्निपथ योजना को लेकर हिंसा भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर तरह-तरह की अफवाह फैलाई जा रही है, चलिए जानते हैं इनके बारे में...
झूठ- अग्निपथ का नतीजा युवाओं के लिए अवसरों में भारी कमी के रूप में सामने आएगा ?
सरकार का दावा- 4 साल के बाद अग्निवीरों का करियर व भविष्य उज्ज्वल होगा. आने वाले वर्षों में अग्निवीरों की भर्ती सशस्त्र स्नाओं में मौजूदा भर्ती से करीब तीन गुना तक बढ़ जाएगी. सीएपीएफ तथा कई राज्यों की पुलिस में प्राथमिकता के अलावा विभिन्न सेक्टरों में उनके लिए अवसरों के द्वार खोले जा रहे हैं.
झूठ- 21 साल के लोग अपरिपक्व और सेना के लिए भरोसेमंद नहीं होते?
सरकार का दावा- दुनियाभर की अधिकांश सेनाएं अपने युवाओं पर निर्भर है. नौजवानों की संख्या किसी भी समयअनुभवी लोगों से ज्यादा नहीं होगी. वर्तमान स्कीम बहुत लंबे समय में धीरे-धीरे नौजवानों और अनुभवी सुपरवाइजरी रैंक्स के 50-50 प्रतिशत के उचित मिश्रण को ही सामने लाएगी.
झूठ- अग्निवीर समाज के लिए ख़तरा साबित होंगे और आतंकवादियों के साथ मिल सकते हैं?
सरकार का दावा- ये भारतीय सशस्त्र सेनाओं के आचार और मूल्यों का अपमान है. 4 साल तक यूनिफॉर्म पहनने वाले नौजवान जीवनभर देश के प्रतिबद्ध रहेंगे. अभी भी सशस्त्र स्नाओं से हजारों लोग स्किल आदि से रिटायर होते हैं लेकिन उनका ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि वो राष्ट्रविरोधी ताकतों के साथ मिल गए हैं.
झूठ- इससे सशस्त्र सेनाओं की प्रभाविकता को नुकसान पहुँचेगा?
सरकार का दावा- ज्यादातर देशों में इस तरह का शॉर्ट टर्म एनलिस्टमेंट सिस्टम मौजूद है. इसलिए इसका परीक्षण पहले ही हो चुका है. इसे युवा और चुस्त सेना के लिए बेस्ट प्रैक्टिस माना गया है. पहले साल भर्ती होने वाले अग्निवीरों की संख्या सशस्त्र सेनाओं के केवल 3 प्रतिशत तक ही होगी. इसके अलावा चार साल बाद सेना में फिर से शामिल करने से पहले अग्निवीरों के प्रदर्शन को टेस्ट किया जाएगा. सेना को सुपरवाइजरी रैंकों के लिए जांचे व परखे जवान मिल सकेंगे.
झूठ- सशस्त्र सेनाओं के पूर्व अधिकारियों के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया?
सरकार का दावा- सर्विस कर रहे सशस्त्र सेनाओं के अधिकारियों के साथ बीते दो वर्षों से विस्तार से सलाह लेने के बाद ही यह स्कीम लाई गई है. इस योजना का प्रपोजल डिपार्टमेंट ऑफ मिलेट्री ऑफिसर्स स्टॉफ्ट बाई मिलेट्री ऑफिसर्स द्वारा दिया गया है. सरकार ने ही इस डिपाटमेंट को बनाया है. कई अधिकारियों ने इस योजना के लाभों से सहमति जताई है और इसका स्वागत किया है.
झूठ- रेजिमेंटल बॉन्डिंग पर असर पड़ेगा?
सरकार का दावा- रेजिमेंटल सिस्टम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. हकीकत में इस योजना से रेजिमेंटल सिस्टम को मजबूती मिलेगी. अल्पकालिक भर्ती की ऐसी प्रणाली अधिकांश देशों में मौजूद है, जिसे पहले से ही परखा जा चुका है. यह युवा और सशक्त सेना, दोनों के लिए बेहतर माना जाता है.
क्या है अग्निपथ योजना-
केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की. इस योजना के तहत युवाओं को 4 साल के लिए तीनों सेना आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में भर्ती होने का मौका मिलेगा. इसे टूर ऑफ ड्यूटी का नाम भी दिया गया है. जिसका मकसद रक्षा बलों का खर्च और उम्र घटाना भी है.