
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली ने मंगलवार को कहा कि संस्थान के ई-हॉस्पिटल डेटा को सर्वर पर बहाल कर दिया गया है और सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को सैनिटाइज किया जा रहा है.
AIIMS ने बयान जारी करते हुए कहा, “ई-अस्पताल डेटा सर्वर पर बहाल कर दिया गया है. सेवाओं को बहाल करने से पहले नेटवर्क को साफ किया जा रहा है. डेटा की मात्रा और अस्पताल सेवाओं के लिए बड़ी संख्या में सर्वर/कंप्यूटर के कारण प्रक्रिया में कुछ समय लग रहा है. साइबर सुरक्षा के लिए उपाय किए जा रहे हैं."
बयान में आगे बताया गया कि आउट पेशेंट, इन-पेशेंट, लैब आदि सहित सभी अस्पताल सेवाएं मैन्युअल मोड पर चलती रहेंगी.
The eHospital data has been restored on servers. Network being sanitized before services can be restored. The process is taking some time due to the volume of data and large number of servers/computers for the hospital services. Measures are being taken for cyber security: AIIMS pic.twitter.com/w8Rk8hwOa7
— ANI (@ANI) November 29, 2022
लगभग 7 दिन तक हैक रहा AIIMS का सर्वर
आपको बता दें कि 23 नवंबर 2022 को एम्स अस्पताल ने अपने सर्वर में खराबी की सूचना दी थी. पिछले बुधवार से अस्पताल का सर्वर डाउन है, और अधिकारी मैन्युअल रूप से ओपीडी और सैंपल कलेक्शन मैनेज कर रहे हैं.
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने मीडिया को बताया कि जिस दिन से सर्वर डाउन हुआ है, डिजिटल रिकॉर्ड की तुलना में अधिक मरीज देखे जा रहे हैं. पिछले तीन दिनों में, लगभग 12,000 मरीजों को दैनिक आधार पर अटेंड किया गया है. यह पहले से कहीं ज्यादा है क्योंकि अब लोगों को ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट लेने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है.
हैकर्स ने मांगी 200 करोड़ की क्रिप्टोकरेंसी
दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (IFSO) यूनिट ने 25 नवंबर को जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया था. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स कहा गया कि हैकर्स ने फिरौती के तौर पर क्रिप्टोकरेंसी में 200 करोड़ रुपये मांगे. हालांकि, दिल्ली पुलिस ने इन खबरों का खंडन किया है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी भारत कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-आईएन), दिल्ली पुलिस, खुफिया ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और मंत्रालय सहित कथित मैलवेयर हमले की चल रही जांच में शामिल हो गई है. गृह मंत्रालय (एमएचए) पहले से ही घटना की जांच कर रहा है.
बताया जा रहा है कि अस्पताल प्रशासन ने दो सिस्टम एनालिस्ट को सस्पेंड कर दिया है. ड्यूटी में कथित लापरवाही के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.
खो गया करोड़ों मरीजों का डेटा
एम्स के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय चिकित्सा संस्थान में डायग्नोस्टिक्स, लैब और ओपीडी सेवाओं को चलाने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्त किया है. मरीजों के डेटा की चोरी इस मामले में प्रमुख है. रिपोर्ट्स के मुताबिक एम्स में हर साल करीब 38 लाख मरीजों का इलाज होता है. उनका सारा डेटा अब खो गया है. बताया जा रहा है कि खोए हुए डेटा में राजनीतिक नेताओं, ब्यूरोक्रेट्स और न्यायाधीशों सहित करोड़ों मरीजों की जानकारी शामिल है.
फिलहाल, एम्स नेटवर्क सैनिटाइजेशन का काम चल रहा है. सर्वर और कंप्यूटर के लिए एंटीवायरस समाधान व्यवस्थित किए गए हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया कि 50 में से बीस सर्वरों को स्कैन किया गया है और यह गतिविधि 24x7 चल रही है.
यह गतिविधि अभी और 2-3 दिनों तक जारी रहने की संभावना है. इसके बाद, ई-हॉस्पिटल सेवाओं को चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सकता है.