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National Security Advisor: PM Modi का Ajit Doval पर भरोसा... बनाए गए तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार... जानिए क्या होती है ये पोस्ट और NSA का काम

Ajit Doval Becomes NSA for The Third Time: अजीत डोभाल को काफी तेज तर्रार अधिकारी माना जाता है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहते हुए डोभाल ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. एक बार फिर उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है.

Ajit Doval (Photo: PTI) Ajit Doval (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • 1998 में हुई थी एनएसए की स्थापना

  • अजीत डोभाल पहली बार 31 मई 2014 को बने थे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार 

मोदी 3.0 (Modi 3.0) सरकार में एक बार फिर अजीत डोभाल ( Ajit Doval) राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Advisor) यानी NSA नियुक्त किया गया है. पीएम मोदी (PM Modi) का अजीत डोभाल पर अटूट भरोसा है, तभी तो लगातार तीसरी बार डोभाल NSA बनाए गए हैं.

मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को पहली बार मई 2014 में देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया था. इसके बाद साल 2019 में डोभाल को एक बार फिर से पांच साल के लिए इस पद पर नियुक्ति दी गई थी. अब फिर उन्हें इस पद की जिम्मेदारी दी गई है. आइए इस पद की अहमियत के बारे में जानते हैं. 

क्या होता है एनएसए
1. हमारे देश में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार पद की स्थापना साल 1998 में की गई थी. इस पद पर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के वरिष्ठ अधिकारी आसिन होते हैं. 
2. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी)की ओर से की जाती है. प्रधानमंत्री इस समिति की अध्यक्षता करते हैं.
3. NSA राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और रणनीतिक मामलों पर पीएम के मुख्य सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं. ये प्रधानमंत्री के विवेक पर काम करते हैं.
4. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं, जिनका मुख्य काम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना होता है. 
5. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सभी खुफिया रिपोर्ट प्राप्त करते हैं और उन्हें पीएम के समक्ष प्रस्तुत करते हैं. 
6. NSA को देश के आंतरिक और बाहरी खतरों और अवसरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से पीएम को सलाह देने का काम सौंपा गया है. 
7. NSA के कार्य पोर्टफोलियो में पीएम की ओर से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की देखरेख करना शामिल है. 
8. हमारे देश के एनएसए चीन के साथ प्रधानमंत्री के विशेष वार्ताकार और सुरक्षा मामलों पर पाकिस्तान और इजराइल के दूत के रूप में भी कार्य करते हैं. 
9. भारत सरकार ने 2019 में अजित डोभाल को एनएसए बनाने के साथ ही कैबिनेट रैंक दिया था.

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ब्रजेश मिश्रा बने थे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में ब्रजेश मिश्रा पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए गए थे. ब्रजेश मिश्रा 22 मई 2004 तक एनएसए पद पर रहे. मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में आईएफएस अधिकारी जेएन दीक्षित एनएसए बने थे.

3 जनवरी 2005 से 23 जनवरी 2010 तक आईपीएस अधिकारी एमके नारायणन एनएसए पद पर रहे. इसके बाद आईएफएस शिवशंकर मेनन 24 जनवरी 2010 से 28 मई 2014 तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे. मोदी के साल 2014 में पीएम बनने के बाद अजित डोभाल को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई. 

कौन हैं अजीत डोभाल
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को हुआ था. अजीत डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. वह 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में शामिल हुए थे. अजीत डोभाल का ज्यादातर समय देश के खुफिया विभाग में बीता है. डोभाल को देश की आंतरिक और बाहरी दोनों ही तरह की खुफिया एजेंसियों में लंबे समय तक जमीनी स्तर पर काम करने का बड़ा अनुभव है. वह इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ रह चुके हैं. 

डोभाल 31 मई 2014 को प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने थे. अजीत डोभाल को काफी तेज तर्रार अधिकारी माना जाता है. उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिए उन्हें 1988 में कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया, जो आम तौर पर वीरता के लिए सशस्त्र बलों को दिया जाता है. इसके अलावा वह भारतीय पुलिस पदक पाने वाले सबसे कम उम्र के अधिकारी हैं. वह विवेकानंद के गैर-सरकारी संगठन की एक शाखा विवेकानंद इंटरनेशन फाउंडेशन के निदेशक रहे हैं.

पीएम मोदी ने क्यों जताया फिर भरोसा
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहते हुए अजीत डोभाल ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. चाहे 370 हो, सर्जिकल स्ट्राइक हो, डोकलाम हो या कूटनीतिक फैसले, डोभाल देश की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. पुलवामा का बदला, जिसे पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाएगा, वह भी डोभाल के नेतृत्व में लिया गया. पुलवामा हमले के एक पखवाड़े के भीतर पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को खत्म करने की वायुसेना की रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में ही तैयार हुई थी. 

वायुसेना और नौसेना के शीर्ष अधिकारियों से रणनीति पर चर्चा करने से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर पल की जानकारी देने तक उन्होंने अहम भूमिका निभाई. अजीत डोभाल ने इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित की थी. वे एक शीर्ष गुप्त मिशन पर 25 जून 2014 को इराक गए, ताकि जमीनी स्थिति को समझ सकें. 5 जुलाई 2014 को नर्सों को भारत वापस लाया गया. इसके अलावा अजीत डोभाल ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए.