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AK-203 Assault Rifle: सेना के लिए अब देश में ही बनेगी AK-203, सौदे पर हस्ताक्षर के लिए तैयार भारत और रूस

AK-203 असॉल्ट राइफल्स का पहला प्रोटोटाइप साल 2007 में AK-200 के नाम से आया था. इस राइफल को एके-200 सीरीज में रखा जाता है.

AK-203 असॉल्ट राइफल्स  AK-203 असॉल्ट राइफल्स

भारत और रूस AK-203 असॉल्ट राइफल्स सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. इसे आज सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी द्वारा मंजूरी दे दी गई. इस सौदे में रूस और भारत अमेठी की एक फैक्ट्री में 7.5 लाख AK-203 का उत्पादन करने के लिए हाथ मिलाएंगे. यह सौदा 5000 करोड़ रुपये से अधिक का होगा और तीनों सेवाओं को प्रदान किया जाएगा.

रूस में डिजाइन की गई है AK-203 

रूस में डिजाइन की गई AK-203 उत्तर प्रदेश में एक नई फैक्ट्री में बनाई जाएगी और दोनों देश संख्या, कीमत और प्रक्रिया के मामले में सौदे पर सहमत हुए हैं. इस सौदे में सशस्त्र बलों के लिए भारत में दस वर्षों में 6,01, 427 AK-203S का निर्माण शामिल है. पहले 70,000 में रूसी निर्मित घटक शामिल होंगे क्योंकि प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण धीरे-धीरे होता है.

भारतीय सेना को 7.50 लाख AK-203 की जरूरत

वहीं, उत्पादन प्रक्रिया शुरू होने के 32 महीने बाद इन्हें सेना को दिया जाएगा. यह राइफल भारतीय सेना द्वारा कई दशकों से उपयोग में लाई जा रही इंसास (INSAS) राइफल्स की जगह लेगी. भारतीय सेना को 7.50 लाख AK-203 असॉल्ट राइफल्स की जरूरत है. इस राइफल का पहला प्रोटोटाइप साल 2007 में AK-200 के नाम से आया था. इस राइफल को एके-200 सीरीज में रखा जाता है. 

भारत और रूस के बीच इस राइफल को लेकर जो डील हुई है, इसमें साफ-साफ कहा गया है कि 70 हजार से 1 लाख राइफल रूस से मंगाए जाएंगे. उनके पार्ट्स आएंगे. टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगी. बाकी की 6.50 लाख राइफल्स अमेठी में बनाई जाएंगी. इससे फायदा यह होगा कि भविष्य में इसी फैक्ट्री में यह राइफल बनाई जा सकेगी. 

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