

क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा का तलाक हो गया है. गुरुवार को कानूनी रूप से दोनों को तलाक की मंजूरी मिल गई है. कोर्ट ने युजवेंद्र चहल को गुजारा भत्ता के रूप में धनश्री को 4.75 करोड़ रुपये देने के लिए कहा है.
हालांकि, जब भी गुजारा भत्ता (Alimony) की चर्चा होती है, तो अक्सर बहस छिड़ जाती है कि "महिलाएं इसका दुरुपयोग करती हैं," "तलाक के बाद पति को लूट लिया जाता है," या "गुजारा भत्ता सिर्फ पुरुषों को ही देना पड़ता है." सोशल मीडिया और पब्लिक डिबेट्स में यह मुद्दा बार-बार उठता है कि कई महिलाओं ने तलाक के बाद मोटी रकम की मांग कर अपने पतियों की आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचाया है.
लेकिन क्या यह सच में इतनी एकतरफा स्थिति है? क्या भारतीय कानून सिर्फ महिलाओं को ही भरण-पोषण (Maintenance) पाने का अधिकार देता है? क्या कोई पुरुष भी भरण-पोषण मांग सकता है? और अगर पति गुजारा भत्ता देने से इनकार करे, तो उसके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है?
गुजारा भत्ता (Alimony) और भरण-पोषण क्या है?
गुजारा भत्ता तलाक के बाद आर्थिक रूप से कमजोर पक्ष को दी जाने वाली राशि होती है, ताकि वह अपने जीवन को जारी रख सके. यह राशि मासिक तौर पर या एकमुश्त दी जा सकती है. बता दें, गुजारा भत्ता (Alimony) सिर्फ पति-पत्नी के बीच वित्तीय सहायता का मामला होता है. वहीं भरण-पोषण (Maintenance) में बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता को भी आर्थिक सहायता देने का प्रावधान होता है.
भारतीय कानून में गुजारा भत्ता से जुड़े प्रावधान
भारत में तलाक और भरण-पोषण के कई कानूनी प्रावधान हैं, जिनमें मुख्य रूप से ये शामिल हैं:
1. दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125
2. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955)
3. विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954) और भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 (Indian Divorce Act, 1869)
गुजारा भत्ता पाने के हकदार कौन हैं?
भारत में निम्नलिखित लोग भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं:
गुजारा भत्ता कैसे तय होता है
अदालत अलग-अलग बातों को ध्यान में रखकर गुजारा भत्ता तय करती है:
गुजारा भत्ते के प्रकार
1. अस्थायी गुजारा भत्ता (Interim Maintenance): तलाक की प्रक्रिया के दौरान दिया जाता है. इसे ‘Pendant Lite Allowance’ भी कहा जाता है.
2. स्थायी गुजारा भत्ता (Permanent Alimony): तलाक के बाद लमसम (एकमुश्त) या मासिक रूप में दिया जाता है.
3. बच्चों का भरण-पोषण (Child Maintenance): बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों के लिए दी जाने वाली राशि.
क्या पुरुष भी गुजारा भत्ता लेने के हकदार हैं?
भारतीय कानून पुरुषों को भी गुजारा भत्ता मांगने की अनुमति देता है, लेकिन ऐसे मामले कम देखने को मिलते हैं. ज्यादातर अदालतें महिलाओं को ही प्राथमिकता देती हैं, जब तक कि पुरुष शारीरिक रूप से अक्षम न हो.
क्या कोई पत्नी भरण-पोषण से वंचित हो सकती है?
कुछ मामलों में पत्नी को भरण-पोषण नहीं मिलता:
वहीं, अगर कोई व्यक्ति कोर्ट के आदेश के बाद भी गुजारा भत्ता नहीं देता, तो उसकी संपत्ति या सैलरी जब्त की जा सकती है. इतना ही नहीं उसे जेल की सजा (CrPC 125(3)) हो सकती है.
गौरतलब है कि यह मांग किसी की इच्छा या लालच पर आधारित नहीं होती, बल्कि कोर्ट की सख्त गाइडलाइन्स और कई कानूनी पहलुओं के आधार पर तय की जाती है. गुजारा भत्ता सिर्फ "मुआवजा" नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति को शादी के बाद एक स्थिर जीवन देना होता है, चाहे वह पति हो या पत्नी.