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AIR to Akashvani: अब ऑल इंडिया रेडियो होगा सिर्फ आकाशवाणी, रबिंद्रनाथ टैगोर ने पहली बार कविता में लिखा था यह नाम

All India Radio के नाम को सिर्फ आकाशवाणी करने को लेकर मामला गंभीर होता जा रहा है. तमिलनाडु की DMK सरकार ने इस फैसले को अनुचित बताया है.

Akashvani (Photo: Wikipedia) Akashvani (Photo: Wikipedia)
हाइलाइट्स
  • बॉम्बे के रेडियो क्लब ने 1923 में पहला कमर्शियल ट्रांसमिशन भेजा

  • 8 जून 1936 को ISBS ऑल इंडिया रेडियो बन गया

पिछले कुछ दिनों से AIR यानी ऑल इंडिया रेडियो सर्विस लगातार चर्चा में है और इसकी वजह है केंद्र सरकार का एक अहम फैसला. दरअसल, केंद्र सरकर ने फैसला लिया है कि सरकार की रेडियो सेवा सुनने वालों को अब ऑल इंडिया रेडियो शब्द सुनने को नहीं मिलेंगे, इसकी जगह अब सिर्फ आकाशवाणी शब्द सुनाई देगा. 

पब्लिक ब्रॉडकास्टर प्रसार भारती ने अपनी रेडियो सेवा को ‘ऑल इंडिया रेडियो’ कहना बंद करने का फैसला किया है. इसकी जगह अब ‘आकाशवाणी’ नाम का इस्तेमाल जाएगा, जैसा कि प्रसार भारती कानून में तय किया गया है. आकाशवाणी की महानिदेशक वसुधा गुप्ता ने एक आंतरिक आदेश जारी कर इस फैसले को तुरंत प्रभाव से लागू करने को कहा है. 

बहुत पुराना है फैसला 
प्रसार भारती के मुताबिक, ये सरकार का बहुत पुराना फैसला है जो पहले लागू नहीं किया गया था और अब इसे लागू किया जा रहा है. 15 नवंबर 1997 को लागू हुए प्रसार भारती कानून में उल्लेख है कि ‘आकाशवाणी’ का अर्थ, इसके सभी दफ्तरों, स्टेशनों और दूसरे तमाम प्रतिष्ठानों से है, चाहे उन्हें किसी भी नाम से पुकारा जाए. हालांकि, यह बात हर किसी को नहीं जम रही हैं. बहुत से लोग इसके विरोध में हैं क्योंकि लोगों के दिलों में ऑल इंडिया रेडियो की एक अलग जगह है. 

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके ने राष्ट्रीय प्रसारक के नाम 'ऑल इंडिया रेडियो' की जगह 'आकाशवाणी' करने को लेकर रविवार को केंद्र पर निशाना साधा और मांग की कि केंद्र सरकार AIR नाम को बहाल करे. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को पत्र लिखा, जिसमें ऑल इंडिया रेडियो शब्दों का उपयोग बंद करने और इसके बजाय आकाशवाणी शब्द का उपयोग करने को फैसले को  अनुचित बताया. 

आपको बता दें कि 1895 में गुग्लिल्मो मार्कोनी द्वारा पहला रेडियो ट्रांसमिशन भेजने के बाद, रेडियो ट्रांसमिशन को कमर्शियल करने में दो दशक से ज्यादा का समय लगा. भारत में, बॉम्बे के रेडियो क्लब ने 1923 में पहला कमर्शियल ट्रांसमिशन भेजा. उसी साल, कलकत्ता रेडियो क्लब की शुरुआत हुई और एक साल बाद, मद्रास प्रेसीडेंसी रेडियो क्लब के साथ रेडियो प्रसारण मद्रास पहुंच गया. साल 1930 में, उद्योग और श्रम विभाग के तहत भारतीय राज्य प्रसारण सेवा (ISBS) ने प्रायोगिक आधार पर अपना संचालन शुरू किया. बीबीसी के वरिष्ठ निर्माता लियोनेल फील्डन को 1935 में भारत के पहले ट्रांसमिशन कंट्रोलर के रूप में नियुक्त किया गया था. 

टैगोर ने पहली बार कविता में कहा आकाशवाणी 
8 जून 1936 को ISBS ऑल इंडिया रेडियो बन गया. हर जगह इसे AIR के नाम से जाना जाने लगा. अब सवाल है कि सर्विस का नाम आकाशवाणी कैसे पड़ा. दरअसल, साल 1939 में कलकत्ता शॉर्टवेव सर्विस के उद्घाटन के लिए महाकवि रबिंद्रनाथ टैगोर को बुलाया गया था. और उन्होंने इस मौके के लिए एक कविता लिखी जिसमें ‘ऑल इंडिया रेडियो’ को ‘आकाशवाणी’ कहकर संबोधित किया गया था. 

प्रसार भारती की वेबसाइट के मुताबिक, ‘आकाशवाणी मैसूर’ नाम का एक निजी रेडियो स्टेशन भी स्थापित किया गया था. साल 1937 में आकाशवाणी को संचार विभाग के तहत लाया गया, और चार साल बाद, सूचना और प्रसारण विभाग के तहत, जिसे अब सूचना और प्रसारण मंत्रालय कहा जाता है. स्वतंत्रता के समय, भारत में छह रेडियो स्टेशन बचे थे: दिल्ली, लखनऊ, कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास और त्रिची में (तीन अन्य - पेशावर, लाहौर और ढाका - पाकिस्तान चले गए थे.

उस समय, आकाशवाणी ने भारत के केवल दो प्रतिशत भूमि क्षेत्र को ही कवर किया थी और यह केवल 11 प्रतिशत जनसंख्या तक ही पहुंचा था. लेकिन आजादी के बाद के सालों में आकाशवाणी बहुत जल्दी विकसित हुआ. आज इसके देशभर में 470 ब्रॉडकास्टिंग सेंटर हैं और इसकी सेवाएं देश के 92 फीसदी हिस्से को कवर करती हैं. आकाशवाणी की सेवाएं 23 भाषाओं के साथ 179 क्षेत्रीय बोलियों में भी प्रसारित की जाती हैं.