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इलाहाबाद HC ने दी केंद्र को Uniform Civil Code पर विचार करने की सलाह, कहा- ये है आज की जरूरत

इलाहबाद हाई कोर्ट के जज सुनीत कुमार ने याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘सिंगल फैमिली कोड’ आज समय की जरूरत है ताकि अंतरधार्मिक जोड़ों को ‘अपराधियों के रूप में शिकार’ होने से बचाया जा सके. अदालत ने कहा, "संसद को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और जांच करनी चाहिए कि क्या देश को शादी और रजिस्ट्रेशन से जुड़े बहुत सारे कानून चाहिए या इसे ‘सिंगल फैमिली कोड’ में लाया जाना चाहिए.”

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • न्यायालय ने कहा कि यह समय की आवश्यकता है

  • कोर्ट में 17 अंतर-धार्मिक जोड़ों (Interfaith Couple) ने याचिका दायर की थी

  • नागरिकों को अपने साथी और वह किस चीज़ में विश्वास (Faith) रखते हैं, ये चुनने का अधिकार है

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र से समान नागरिक संहिता (Uniform civil code) को लागू करने पर विचार करने के लिए कहा है. गुरुवार को एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड आज एक अनिवार्य आवश्यकता है. HC ने कहा, “इसे स्वैच्छिक (Voluntary) नहीं बनाया जा सकता है, जैसा कि 75 साल पहले डॉ बी.आर अंबेडकर ने कहा था.”

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, कोर्ट में 17 अंतर-धार्मिक जोड़ों (Interfaith Couple) ने याचिका दायर की थी. इन जोड़ों ने अपन शादी के रजिस्ट्रेशन और सुरक्षा की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

इलाहबाद हाई कोर्ट के जज सुनीत कुमार ने याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘सिंगल फैमिली कोड’ आज समय की जरूरत है ताकि अंतरधार्मिक जोड़ों को ‘अपराधियों के रूप में शिकार’ होने से बचाया जा सके. 

अदालत ने कहा, "संसद को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और जांच करनी चाहिए कि क्या देश को शादी और रजिस्ट्रेशन से जुड़े बहुत सारे कानून चाहिए या इसे ‘सिंगल फैमिली कोड’ में लाया जाना चाहिए.”

वकीलों की दलील.......
 
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की शादी को जिला प्राधिकरण (District Authority) द्वारा जांच के बिना रजिस्ट्रेशन नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्हें इसके लिए उन्हें पहले जिला मजिस्ट्रेट से अनिवार्य मंजूरी नहीं मिली है.

हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकील ने जोर देकर कहा कि नागरिकों को अपने साथी और वह किस चीज़ में विश्वास (Faith) रखते हैं, ये चुनने का अधिकार है, और धर्म परिवर्तन स्वतंत्र इच्छा से हुआ है.

कोर्ट ने क्या कहा?

शादी के लिए यूनिफॉर्म सिविल के विचार की वकालत करते हुए, न्यायालय ने कहा कि यह समय की 
आवश्यकता है कि संसद एक समान परिवार संहिता के साथ आए, क्योंकि अंतर-धार्मिक जोड़ों को अपराधी नहीं माना जा सकता है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, "विभिन्न समुदायों के लिए अलग-अलग कानूनों के तहत शादी में कुछ भी 'स्पेशल' नहीं है, ये केवल नागरिकों के आपसी संबंधों में बाधाएं खड़ी करना है. याचिकाकर्ताओं को, यहां, अपराधियों के रूप में नहीं देखा जा सकता है. उनके 40 में से 20 अपराध, अगर कोई है तो वह यह है कि वे एक-दूसरे के लिए अपने दिल के हुक्म के आगे झुक गए हैं.”

इसलिए, कोर्ट ने भारत सरकार को निर्देश दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश किये गए यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के फैसले के लिए एक समिति/आयोग के गठन पर विचार करें.

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