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Unmarried Daughter Rights: अविवाहित बेटियों को देना होगा गुजारा भत्ता, Allahabad High Court का आदेश- धर्म या उम्र के आधार पर नहीं छीन सकते हक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है और घरेलू हिंसा केस में माता-पिता को अविवाहित बेटियों को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि रखरखाव पाने का वास्तविक अधिकार दूसरे कानूनों से भी मिल सकता है, लेकिन इसे पाने के लिए त्वरित और छोटी प्रक्रियाएं घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 में दी गई हैं.

Allahabad High Court Allahabad High Court

घरेलू हिंसा केस में अविवाहित लड़कियों को भरण पोषण देने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने माना है कि अविवाहित लड़कियों को उनकी धार्मिक पहचान या उम्र की परवाह किए बिना अपने माता-पिता से घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा केस में कुंवारी लड़कियों को माता-पिता भरण-पोषण दें. इस मामले में धर्म या उम्र की कोई बंदिश नहीं है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला घरेलू हिंसा के केस में दायर अपील के मामले में सुनाया.

कोर्ट ने क्या कहा-
जस्टिस ज्योत्सना शर्मा ने नईमुल्लाह शेख की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक कुंवारी लड़की, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम, उसे गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है. चाहे उसकी उम्र कुछ भी हो. कोर्ट ने कहा कि जब सवाल लोगों के अधिकार से संबंधित हो तो कोर्ट को मामले में लागू होने वाले दूसरे कानूनों को भी देखना होगा.

क्या था पूरा मामला-
दरअसल तीन बहनों ने अपने पिता और सौतेली मां पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत भरण-पोषण का दावा करते हुए याचिका दायर की थी. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने अंतरिम भरण-पोषण का आदेश दिया था. ट्रायल कोर्ट के इस आदेश को पिता नईमुल्लाह शेख ने चुनौती दी थी. पिता ने तर्क दिया था कि बेटियां व्यस्क हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं. लेकिन हाईकोर्ट ने 10 जनवरी के फैसले में पिता की याचिका को खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया.

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